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काव्यांजलि उपन्यास

डॉ. राजीव श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17179
आईएसबीएन :9781613017890

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आधुनिक समाज को प्रतिविम्बित करती अनुपम कृति

 

 

बनारस के हरिश्चंद्र घाट पर तमाम चितायें जल रहीं हैं। एक चिता डा० राघवेन्द्र, प्रोफेसर मेडिसिन आई०एम०एस०, बी०एच०यू० की पत्नी डा० काव्यांजलि, प्रोफेसर अर्थशास्त्र, बी०एच०यू० की सजाई जा रही है। काव्यांजलि के शव के साथ डा० राघवेन्द्र, पुत्र - अजीत, रंजीत सम्बंधी, इष्टमित्र आदि है। काव्यांजलि का सूक्ष्म शरीर श्वेत वस्त्रों में शवदाह स्थल से थोड़ी दूर स्थित चाय, मिष्ठान की दुकान के पास वृक्ष पर बैठा सब कुछ देख रहा है। यह घटना 13 फरवरी 2015 की है।

मंत्रोच्चारण के साथ डा० राघवेन्द्र ने चिता को आग लगाई। चिता में आग लगते ही काव्यांजलि का सूक्ष्म शरीर जलन के कारण तिलमिला उठायह जलन थोड़ी देर बाद में शीतलता में बदल गयी। चिता धू-धू कर जलने लगी पर सभी लोग चिता के पूर्ण रूप से जलने की प्रतीक्षा करने लगे।

काव्यांजलि सूक्ष्म शरीर से सभी को देख रही है। उसका मन हुआ कि दुःखी पति को गले लगा ले और पुत्रों को प्यार करे पर यह संभव न था।सूक्ष्म शरीर के सम्मुख अतीत एक चलचित्र की भांति घूमने लगा।

माधुरी (काव्यांजलि की माँ) "काव्या दीपा उठो, तुम लोगों के स्कूल का समय हो रहा है।" पुकारती हुयी माधुरी दोनों के बेड रूम में पहुँची और कुनमुनाती दोनों पुत्रियों को उठाया और स्कूल के लिये तैयार कर नीचे डाइनिंगटेबल पर ले आई और भरपेट जलपान करा ड्राइवर से कहा, "रमेश जाओ काव्या व दीपा को स्कूल छोड़कर आओ मुझे 11 बजे नारी कल्याण समिति की मीटिंग में जाना है।

काव्या के पिता, विनोद सुप्रीम कोर्ट के नामी एडवोकेट हैं, जो पहले मेरठ में रहते थे। 1956 में दिल्ली आ गये और प्रैक्टिस करने लगे। कुशाग्र बुद्धि होने के कारण शीघ्र ही नामी एडवोकेट्स मेंशामिल हो गये। हौजखास नई दिल्ली में दोमंजिली कोठी बनवा ली। भूतल पर ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम, पूजा गृह, किचेन, गेस्ट रूम व कार्यालय, काफी बड़ा लॉन जिसमें मौसम के अनुसार फूल, अशोक के वृक्ष, पोर्च, सर्वेंट क्वार्टर हैं। गेट पर सदैव गार्ड रहता है। प्रथम तल पर सभी के बेडरूम के साथ संलग्न टॉयलेटहै। घर के सदस्यों में विनोद, माधुरी, विधवा माँ कमला देवी व दो पुत्रियाँ हैं। कमला देवी धार्मिक प्रवृत्ति की हैं जो प्रातः 9 बजे तक पूजा पाठ करती हैं। माधुरी समाज सेविका हैं जो नारी कल्याण समिति के अतिरिक्त दो क्लबों की सदस्य भीहैं।

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Asha Rastogi

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तव की कलम से एक और अत्यंत प्रभावशाली सृजन l “काव्यांजलि” की भाषा-शैली इतनी सहज, रोचक एवं मनोहारी है कि पाठक बरबस ही उपन्यास से जुड़ाव महसूस कर लेता है l पर्त- दर- पर्त सारी कड़ियाँ ऐसी गुंथती चली जाती हैं, मानो सब कुछ सामने ही घटित हो रहा हो l कश्मीर के दृश्यों का वर्णन तो रोमांच भर देता है l विषयवस्तु इतनी भावपूर्ण है कि एक चिरस्थाई प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहती l सर्वथा पठनीय कृति l मेरी ओर से असीम शुभकामनायें lDr.asha kumar rastogi M.D.(Medicine), DTCD Ex.Senior Consultant Physician, district hospital, Moradabad. Presently working as Consultant Physician and Cardiologist, sri Dwarika hospital, near sbi Muhamdi, dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964