संस्कृति >> लोक संस्कृति के विविध आयाम लोक संस्कृति के विविध आयाममहीपाल सिंह राठौड़
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प्रस्तुत पुस्तक में राजस्थान की लोक संस्कृति के विविध रंगों की झलक मिलती है जो भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हुई नजर आती है। भाषा की मिठास एवं जीवन मूल्यों को अपने में समेटे हुए ये लोकगीत उदात्त भाव से भरे हुए हैं।
अनुक्रम
★ भूमिका
★ लोरी साहित्य
★ नारी-मन की अभिव्यक्ति लूरें
★ मीराँ पदावली में लोकतात्त्विक तन्मयता
★ संस्कृति के संवाहक शब्द
★ लोक देवता जुंझार जी
★ जौहर की गत जौहरी जाने
★ स्वाधीनता संग्राम के लोकगीत
★ श्रम लोकगीतों का सौंदर्य
★ म्हारे पीऊ जी रे देस चिमक बिजळी
★ ऊँटां री असवारी म्हानै लागै प्यारी हो
★ भीली बोली और उसका मौखिक साहित्य
★ कालबेलिया समाज और संस्कृति
★ भोजपुरी व राजस्थानी लोकगीतों की समभाव भूमि
★ धिया बिनु सून अँगनवा
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