जीवन कथाएँ >> गोपाल राय गोपाल रायसतीश कुमार राय
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गोपाल राय (1932-2015) हिंदी के प्रतिनिधि कथालोचक हैं। हिंदी कथालोचना को मुख्यधारा में प्रतिष्ठित करने में उनकी ऐतिहासिक भूमिका है। उन्होंने गोदान, शेखर एक जीवनी, दिव्या; महाभोज और ग्रेला ऑचल जैसे प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासों की अंतर्वस्तु और संरचना की गंभीर समीक्षा की। पाठ्यक्रमों में निर्धारित इन उपन्यासों की अंतर्दृष्टि को पहचानने में उन्होंने असंख्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों की सहायता की। ‘उपन्यास की पहचान’ श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित ये आलोचना ग्रंथ गहन विश्लेषण और तार्किक निष्कर्ष के कारण विद्वज्जनों के द्वारा काफी सराहे गए। उपन्यास के शिल्प और संरचना पर भी उन्होंने उपयोगी ग्रंथ पाठकों को दिए। हिंदी उपन्यास कोश, हिंदी उपन्यास का इतिहास और हिंदी कहानी का इतिहास दुर्लभ संदर्भों की प्रामाणिक प्रस्तुति के कारण विशेष महत्त्व रखते हैं। ‘हिंदी साहित्याब्द कोश’ के 14 खंड अपने आप में हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं के विकास के ऐतिहासिक दस्तावेज़ हैं। 41 वर्षो तक समीक्षा त्रैमासिक के संपादन द्वारा उन्होंने हिंदी में पुस्तक समीक्षा को वस्तुपरकता और प्रामाणिकता दी है। 35 वर्षीय अध्यापन काल में उन्होंने असंख्य विद्यार्थियों के भविष्य गढ़े हैं।
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