नई पुस्तकें >> पुञ्जराज वंश दर्पण पुञ्जराज वंश दर्पणशिव कुमार पाण्डे
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गेगासों के पाण्डेय की वंशावली
ॐ नमः शिवाय
पुञ्जराज वंश दर्पण
अर्थात्
गेगासों के पाण्डेय की वंशावली
जिसमें कान्यकुब्ज षोडस गोत्र, प्रवर, शिखा, सूत्र तथा पाण्डेय वंश की कन्यादान विधि और वंशक्रम का विवरण परम पूज्य चिरस्मरणीय पुञ्ज राज जी के वंशजों के हितार्थ, सांस्कृतिक गरिमा को अक्षुण्ण रखने हेतु सरल रूप में वर्णित है।
जिसको गेगासों के पाण्डेय बाबू खेड़ा निवासी परम पूज्य हरिनाथ कुलोत्पन्न स्व. पं. ठाकुर प्रसाद जी के प्रपौत्र स्व. अनन्त राम जी के पुत्र स्व. पं. प्रयाग के पुत्र स्व. पं. राम सेवक जी के पुत्र स्व. पं. परशुराम के द्वितीय पुत्र राम कुमार पाण्डेय एवं तृतीय पुत्र शिव कुमार पाण्डेय जी ने अपने अथक परिश्रम से संकलित कर पुञ्जराज वंश के अनन्य गुरुजनों से अनुमोदित और प्रशंसित कराकर प्रकाशित किया।
सप्तम् संस्करण
सम्वत् 2080
भूमिका
सृष्टि - कर्ता के निर्माण की चतुर्थ पीढ़ी में परम तेजस्वी श्री महाराज भरद्वाज जी हुये । इनके पुत्र परम वीर श्री द्रोणाचार्य जी महाराज हुये जिनके पुत्र अद्वितीय धनुर्विद पूज्य अश्वत्थामा जी हुये । इनके वंश में समस्त वेदोअवेदज्ञ पंडित उपाधिधारी श्री वामदेव जी हुये। जिनसे पंडित अर्थात् पाण्डेय वंश चला। इनके प्रपौत्र श्री भोजराम महाराज ने कम्पिला ग्राम को बसाया जिसमें एकमात्र पाण्डेय वंश था। बाद में इसी ग्राम में सुपात्र षड्कुल ब्राह्मण वास करने लगे। कुछ काल पश्चात् इन्द्रप्रस्थ मुसलमानों के आधीन हुई और म्लेच्छों का अत्याचार शनैः-शनैः पूर्व को फैलने लगा तो समस्त ब्राह्मण अन्यत्र जाकर वास करने लगे । उसी समय सम्वत् 1300 के लगभग श्री भोजराज जी की चतुर्थ पीढ़ी में श्री परम पूज्य पितामह श्री पुञ्जराज जी का काशी से गर्गाश्रम जगत जननी संकठा जी के दर्शनार्थ आगमन हुआ । क्षत्रिय श्रेष्ठ राजा त्रिलोक चन्द्र की प्रार्थना पर श्री पुञ्जराज जी ने चिलौला ग्राम में उनसे पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया और राजा को वंश प्राप्ति का आशीर्वाद देकर काशी लौट गये । कालान्तर में श्री पुञ्जराज जी पुन: गर्गाश्रम आये । राजा त्रिलोक चन्द्र ने उनका अति सम्मान किया। राजा ने उनका शिष्यत्व स्वीकार कर गुरुदक्षिणा में गर्गाश्रम ग्राम देकर वहीं वास करने का अनुरोध किया । इसी समय से श्री पूञ्जराज जी का निवास गर्गाश्रम में हुआ और पुञ्जराज वंश का प्रादुर्भाव गर्गाश्रम के पाण्डेय (गेगासों के पाण्डेय) नाम से हुआ जिनकी शाखा, प्रशाखा का वर्णन इस पुस्तक के अन्तर्गत है ।
- सूर्य कुमार पाण्डेय
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