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भावनाओं का सागर

प्रविता पाठक

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16998
आईएसबीएन :9781613017869

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प्विता जी की हृदयस्पर्शी कवितायें

हृदय सागर से उठती लहरें

- प्रियदर्शी खैरा

 

'भावनाओं का सागर' प्रविता पाठक 'ट्विंकल' का प्रथम काव्य संग्रह है। उनकी कविताएं, शीर्षक अनुरूप, समुद्र की प्रकृति धारण किए हुए हैं। कोई कविता शांत समुद्र सी है तो, कोई भावनाओं का ज्वार लिए है, कहीं अथाह गहराई है तो प्रारंभ में कहीं कम, कोई सीप में मोती सी है, कोई माणिक सी। कहीं-कहीं कविता समुद्र के किनारे रेत का घर बनाती हुई दिखती है। इस काव्य रत्नाकर में कुल 74 रत्न हैं, जिनकी अपनी-अपनी चमक है, अपना अपना प्रभाव है।

कवयित्री अपने परिचय में लिखती हैं कि उन्होंने स्वर्गीय पिता की दिव्य प्रेरणा से काव्य जगत में प्रवेश किया और परिणाम स्वरूप यह काव्य-संग्रह आपके समक्ष है, यह उन्हीं का आशीर्वाद है। यह, उनका अपने जनक और जननी के प्रति अगाध प्रेम और आस्था को दर्शाता है। इन्हीं भावनाओं के कारण, माता-पिता पर उन्होंने कविताओं का सृजन किया है। इस विषय पर इस संग्रह में लगभग दस पन्द्रह कविताएँ हैं। कवि ने इन कविताओं के माध्यम से, माता-पिता को, अपनी काव्य-श्रद्धांजलि अर्पित की है। 'पितृपक्ष' कविता की कुछ पंक्तियाँ देखिए, इसमें कवि की धार्मिक आस्था भी झलकती है -

पितरों का आशीष मिले तो
पत्थर में फूल खिले प्यार
आँखों से ओझल पितर हमारे
घर जीवन में करते उजियारा।

कवि कहीं-कहीं दार्शनिक हो गया है। उसने दर्शन को प्रकृति की विकृतियों से जोड़ने का अभिनव प्रयास किया है -

पाँच तत्व घबराने लगे कि
जब मानव तन से आत्मा निकल जाएगी
तब शेष बचे पाँच तत्वों को
वह अपने में समाहित करें या नहीं।      - पंचतत्व

गौरैया कविता में कवि का प्रकृति प्रेम अपनी पूर्ण शक्ति से उजागर हुआ है-

गौरैया लोटे जब मिट्टी में
पछुआ का आगाज हुआ
प्यारी प्यारी बोली गूंजी
जैसे झंकृत कोई सजा हुआ।

काव्य संग्रह में कहीं-कहीं देशभक्ति के भी दर्शन होते हैं, वह आशावान है, नए प्रयोग करने से भी नहीं झिझकता। उसने हायकू विधा पर भी हाथ आजमाया है-

अभी भी वक्त
सुधारो गलतियाँ
देती सबक।         - धरती पर कोरोना -1
नेत्र तृतीय
प्रालयंकारी शिव
धरा सहमी।         - धरती पर कोरोना-2

कवि ने अपनी कविताओं में कई विषयों को सम्मिलित किया है। वह आज की शिक्षा नीति, मनुष्य के गिरते स्तर से भी दुखी है। कवि ने स्वानताय सुखाय कविताएँ लिखी हैं जो पाठक वर्ग को भी सुख प्रदान करेंगी। यह कवि का प्रथम काव्य संग्रह है जो आशा उत्पन्न करता है की भविष्य में कवि और मुखर होकर सामने आएगा। यह काव्य संग्रह निश्चय ही काव्य सागर में हलचल उत्पन्न करेगा। कवि को अच्छे काव्य संग्रह के लिए बधाई। काव्य संग्रह भारतीय साहित्य संग्रह, कानपुर ने प्रकाशित किया है। सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए प्रकाशक को कोटि-कोटि साधुवाद।

- प्रियदर्शी खैरा
वरिष्ठ साहित्यकार
90-91/1, यशोदा विहार, चूना भट्टी    
भोपाल, मध्य प्रदेश     पूर्व प्रमुख अभियन्ता
मोबाइल - 94069 25564    ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, मध्य प्रदेश
मेल - pdkhaira@gmail.com 

 


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