नाटक-एकाँकी >> सबसे उदास कविता सबसे उदास कवितास्वदेश दीपक
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अपूर्वा : बोल सुकान्त। बोल रे। जब फाँसी का फन्दा गले में पड़ेगा तो तुम्हारे अन्तिम वाक्य के अन्तिम शब्द याद कर लूँगी। (एकदम भयभीत आवाज़) मुझे रोक लो सुकान्त। मुझे रोक लो रे !
सुकान्त : (उठा। उसके पास थोड़ा रुका, लँगड़ाकर गया। कन्धे पर हाथ रखा) अब कहाँ है हमारे बस में तुम्हें रोकना। जाना होगा। तुम्हें जाना ही होगा। बन गयी हो अब तुम सबसे उदास कविता। औरत सबसे उदास कविता होती है। लगातार संघर्ष करता लेकिन लगातार पराजित होता मज़दूर सबसे उदास कविता है। खेतों में शिशु को जन्म देती माँ सबसे उदास कविता है। निर्धनता सबसे उदास कविता है। बातूनी लड़की का अचानक चुप हो जाना सबसे उदास कविता है। मर रहे आदमी के बोले हुए अन्तिम वाक्य के जब अन्तिम शब्द याद रह जाते हैं, वह सबसे उदास कविता है।
सूर्यस्वामी : जो सूरज डूबता है, उदय भी होता है। जो बच्चा जन्म लेता है, बड़ा होता है, संघर्ष करता है। हमें लम्बी लड़ाई लड़ने की आदत है। और नहीं थम जाती यह लड़ाई किसी एक के मरने से। याद करो। क्या कहा है शेक्सपियर ने। कायर हज़ार बार मरते हैं मौत आने से पहले और योद्धा केवल एक बार वरण करते हैं मृत्यु का।
– इसी पुस्तक से
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