उपन्यास >> अंतिम ईश्वर अंतिम ईश्वरप्रतिभा राय
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सिर्फ ओड़िआ भाषा ही नहीं, किसी भी भारतीय भाषा या विदेशी भाषा में ऐसा कोई उपन्यास संभवतः नहीं लिखा गया है, जिसमें उपन्यास का कैन्वसस पूरा विश्व हो। भाषा की काव्यमयता, पात्रों का निपुण चित्रणा, विभिन्न धर्म-विश्वासों के तर्क-वितर्क का विश्लेषण एक ही उपन्यास के कलेवर में कम ही देखा जाता है। आदिवासी संस्कृति से लेकर पूर्णतः आत्मलीन व्यक्तिवाद के चित्रण के साथ कट्टरपंथियों और आतंकवादियों के कारण इस वक्त विश्व की भयावह स्थिति ने इस उपन्यास को एक जटिल विश्वचित्र में तब्दील कर दिया है। इन सबके वावजदू प्रेम की वेदना और हिंसा की यंत्रणा से जर्जरिता मनुष्य की अनंत अन्येषा का प्रकाश भी इसमें दिखाई देता है। यह ईश्वर कौन है और उसकी तलाश करने के दुर्वार जीवन संग्राम की रोमांचक कहानी “अंतिम ईश्वर” के पाठकों को प्रवहमान उत्कंठा से प्रलुब्ध करेगा। निश्चित ही सभी धर्मों के पाठक अपने “अंतिम ईश्वर’’ को दूँढ़ निकालेंगे इस उपन्यास को पढ़ लेने के बाद। इस उपन्यास की अगली कड़ी ‘प्राप्तेषु पृथ्वी’ उपन्यास में मनुष्य के जीवन के यथार्थ उद्देश्य की ओर संकेत किया गया है।
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