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उपन्यास >> कलर ऑफ लव

कलर ऑफ लव

वन्दना गुप्ता

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16840
आईएसबीएन :9789390659517

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“हद है राजेश, एक मासूम बच्चे से इतनी नफ़रत ? अरे, नफ़रत करनी है मुझसे करो लेकिन बच्चे पर तो सारी दुनिया रहम खाती है, उसे प्यार दुलार करती है और एक तुम हो जिसे इतना नहीं दिखा कि यदि पीहू का पैर पड़ जाता तो ख़ूनमख़ून हो जाता। पीह को जाने कितनी चोटें आतीं। धिक्कार है तुम्हें ? मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी तुम इतनी नफ़रत करते हो एक बच्चे से।”

‘मार दो इसे कुछ खिलाकर ऐसे बच्चे बोझ हैं तुम सब पर आख़िर कब तक तुम इनका ध्यान रख सकोगे ? एक दिन जब तुम कुछ नहीं कर पाओगे तब इनका ध्यान कौन रखेगा ? अरे इनकी तो शादी भी नहीं हो सकती जो इनका साथी इनका ख़्याल रख सके, तब क्या करोगे ? ऐसे जीवन से मौत भली।’

कोई कहता है माँ ने मार दिया, कोई कहता है दादी ने मार दिया यानि जितने मुँह उतनी बातें मगर सच किसी को नहीं पता। मौत वाकई आ गयी थी या जबरन बुलायी गयी थी मगर अब सब रिलैक्स हैं… यह उपन्यास डाउन सिंड्रोम बच्चों, उनके अभिभावकों और उनकी समस्याओं पर आधारित है। डाउन सिंड्रोम बच्चों का जीवन कितना कठिन होता है, उनके अभिभावकों को उनके जन्म से पालन-पोषण तक किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, समाज में इन बच्चों की स्वीकृति/अस्वीकृति कैसे देखी जाती है इन सब समस्याओं पर प्रकाश डाला है। डाउन सिंड्रोम होना क्या मानसिक विक्षिप्तता है अथवा समाज में व्याप्त एक भ्रान्ति ? पीहू के जीवन में आने से मीनल और राजेश के सम्बन्धों पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ा ? क्या वो एक आम ख़ुशहाल जीवन जी पाया ? परिवार ने पीहू को स्वीकारा या नहीं ? क्या मीनल अपनी बेटी के लिए जो सपने देखती है, उन्हें पूरा कर पायी? क्या वाकई यह डगर इतनी आसान है ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर देगा आपको यह उपन्यास- ‘कलर ऑफ़ लव’।

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