नई पुस्तकें >> मौन की मंत्रणा मौन की मंत्रणाडॉ. माया सिंह माया
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माया सिंह की इक्कीस कहानियाँ
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अपनी बात
हालात के हथौड़े से चोट खाती जिन्दगी जब कराहती है तब एक धुआँ सा उठता है और उस धुयें की लकीरें आड़ी तिरछी जब आँखों के सामने उभरती हैं तो नैनों की झील में तैरती तड़पन कुछ कह जाती है। यादों के चक्रव्यूह से निकल किसी कोरे कागज पर व्यथा की कथा लिखने लगती है। वही कुछ पन्ने किसी न किसी कहानी को जन्म देते हैं। ये कहानियाँ कभी संघर्षों की गाथायें गाती, कभी त्याग और बलिदान की वेदी पर स्वयं की आहुति देती हैं, कहीं 'मौन की मंत्रणा' बन कुछ चुपके से कह जाती हैं...। मैं अपनी इस साहित्य की यात्रा के उन विद्वानों, कवियों, लेखकों को आभार अर्पित करना चाहती हूँ, जिन्होंने मुझे पग-पग पर मेरे आदर्श, मेरी प्रेरणा बनकर मेरा सहयोग किया, उनकी मैं सदैव ऋणी रहूँगी।
यह वह नाम है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं साहित्य जगत में सन्तों जैसी सोच गंगा जैसी निर्मलता और चन्दन जैसी पावनता अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व में धारण कर, अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा दी है जो वंदनीय है।
वे नाम हैं महाकवि पंडित यज्ञदत्त त्रिपाठी जी एडवोकेट, वरिष्ठ कवि कई महाकाव्यों के रचयिता बहुमुखी प्रतिभा के धनी जिन्होंने 'तपस्या के प्रसून', 'दुष्यंत प्रिया' जैसे कई महाकाव्यों की रचना की जो अमर हैं। आज की पीढ़ी उनके अमर वाक्यों को पढ़ कविता लिखना सीखती है।
महाकवि पंडित प्रेम नारायण दीक्षित जी जिन्होंने ज्ञान के सूर्य की रश्मियां धारण कर, जीवन दर्शन, आध्यात्म का अलौकिक प्रेम जो 'जय श्री राधा', 'महाकाव्य प्रणय' व उनके अन्य ग्रंथों में मिलता है जो अतुलनीय है उनकी लेखनी को हृदय से नमन करती हूँ जिन्होंने 'मौन की मंत्रणा' की भूमिका लिखकर मुझ छोटी सी कलम को आशीर्वाद दिया।
महाकवि कुँवर बैरागी कला, साहित्य, संगीत व अभिनय में बहुमुखी प्रतिभा के धनी जिन्होंने 'प्यासे केन के फूल' महाकाव्य लिखकर साहित्य जगत में अपना एक अलग स्थान बनाया है। मैं उनकी लेखनी को प्रणाम करती हूँ। इसी श्रृंखला में डॉक्टर महेश दिवाकर जी जिनका रचना संसार वृहद है
जिन्होंने हिन्दी भाषा के संवर्धन एवं उन्नयन में अमूल्य योगदान दिया। अपना सम्पूर्ण जीवन हिन्दी को समर्पित कर एक अनोखी अलख जगाने का काम किया। उनकी अनगिनत विदेश यात्रायें मातृभाषा हिन्दी को समर्पित हुईं उनका साहित्य लोकवंदनीय है।
डॉ. गायत्री सिंह जी मानवीय संवेदना की शक्ति स्वरूपा, जिनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व आराधनीय है। मेरे लिए तो वह मेरी प्रेरणा की प्रतिमूर्ति हैं या यह कहो उन्होंने कुछ दिनों पहले कहा माया दीदी कुछ कहानियाँ लिखिए। बस 'मौन की मंत्रणा' अपनी हलचल मचाने लगी इस कहानी संग्रह की प्रेरिका को प्रणाम आगे भी अपना स्नेह आशीर्वाद देती रहें।
अनुव्रत सेवी डॉक्टर ललिता बी. जोगड वर्ल्ड-रिकॉर्ड धारिका मुंबई का मुझे आशीर्वाद मिला उन्हें बहुत-बहुत साधुवाद।
डॉक्टर अंसार कम्बरी साहब- कानपुर जिनके गीत और ग़ज़लों की अमिट छाप मेरे बाल मन पर 13 वर्ष की उम्र में पड़ी, जिसने मेरी कविता से पहचान करायी, वे मेरे बड़े भाई हैं, मेरे आदर्श हैं जो सगे भाई की तरह से साहित्य के क्षेत्र में मेरा मनोबल बढ़ाते हैं। उनका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार। डॉक्टर रसूल अहमद सागर जी वरिष्ठ शायर रामपुरा, डॉ. रेहाना सिद्दीकी जिनका स्नेह, अपनापन सदैव मेरे साथ रहता है उन्हें बहुत-बहुत आभार। सुकवि श्री राम शंकर सिंह गौर जी संवेदना साहित्य समिति के उपमंत्री जिन्होंने अपनी शुभकामनाओं से अपने स्नेह एवं सम्मान से अपनी अराधना में मुझे शामिल किया मैं उनकी कृतज्ञ हूँ। मैं उनकी लेखनी को नमन करती हूँ। देश प्रेम एवं समाज सेवा को समर्पित कुछ नाम जो मानवता को ही ईश्वर की पूजा समझते हैं उनके सहयोग एवं शुभकामनाओं की मैं आभारी हूँ।
माननीय डॉक्टर घनश्याम अनुरागी जी
अध्यक्ष जिला पंचायत संगठन उत्तर प्रदेश एक्स संसद सदस्य।
माननीय गौरी शंकर वर्मा जी
विधायक सदस्य नियमन समिति,
221 विधानसभा मार्ग उरई, जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश।
श्रद्धेय शंभू दयाल जी आई.आर.एस.
सेवा निवृत्त बुंदेलखंड विकास बोर्ड उत्तर प्रदेश।
आदरणीय रवि कुमार जी आई.पी.एस.
पुलिस अधीक्षक जालौन उत्तर प्रदेश।
श्रद्धेय श्री लाखन सिंह कुशवाहा
पूर्व जिला अध्यक्ष प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया उत्तर प्रदेश।
आप सबका हार्दिक आभार एवं अभिनन्दन।
निरन्तर समाज एवं साहित्यकारों को अपना योगदान देकर संबल प्रदान करने वाले हैं मेरे बन्धु जिनके नाम हैं समाजसेवी श्री लक्ष्मण दास बवानी जी, समाजसेवी श्री कामता प्रसाद वर्मा जी, समाजसेवी युद्धवीर कंथरिया जी आपको बहुत-बहुत हार्दिक नमन एवं आभार जो मुझे समय-समय पर अपनत्व का एहसास कराते हैं।
पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरे बन्धु जिनके लिए मेरे हृदय में सदा श्रद्धा और अपनापन रहता है जिनमें हैं - आदरणीय अरविन्द द्विवेदी जी ब्यूरो चीफ 'दैनिक आज', आदरणीय अनिल शर्मा जी भूतपूर्व ब्यूरो चीफ 'अमर उजाला', आदरणीय श्री के.पी. सिंह जी, आदरणीय श्री सिद्धार्थ त्रिपाठी जी, 'कृष्णा न्यूज' एडिटर परम श्रद्धेय शालिग्राम जी शास्त्री, परम श्रद्धेय मुकेश उदेनिया जी 'दैनिक भास्कर' ब्यूरो चीफ, परम आदरणीय ब्यूरो चीफ 'दैनिक जागरण' विमल पाण्डे जी आप सबका हार्दिक आभार एवं अभिनन्दन।
संवाददाता श्री सुशील द्विवेदी जी दैनिक जागरण श्री चन्द्र प्रकाश जी, श्री सुधीर राणा जी, अमर उजाला श्री जगत सिंह यादव, दैनिक भास्कर आप सभी की मैं कृतज्ञ हूँ और हृदय से आभारी भी। आप सबने मेरी लेखनी को रोशनी देकर जनमानस तक पहुँचाया। भारतीय साहित्य संग्रह के श्री अम्बरीश शुक्ल 'गोपाल' जी के सफल संपादन एवं श्रम की मैं हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने पुस्तक प्रकाशन में अपनी सूझबूझ से चार चांद लगाने का प्रयास किया, वहीं मेरे कहानी संग्रह को अपने विवेक एवं बुद्धि कौशल से पूर्णता प्रदान की है।
संवेदना साहित्य समिति (पंजीकृत संस्था) जालौन, उत्तर प्रदेश के सभी पदाधिकारी एवं सदस्यगण सबको मेरा प्रणाम।
कार्यकारिणी
1- संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर माया सिंह 'माया'
2- उपाध्यक्षः श्री लाखन सिंह कुशवाहा,
3- श्रीमती विमला तिवारी विमल जी महामंत्री
4- श्रीमती शान्ति कनौजिया कोषाध्यक्ष
5- श्री राम शंकर गौर उपमंत्री
6- श्री मणीन्द्र शर्मा एडवोकेट संयुक्त मंत्री
7- श्री स्वतंत्र सिंह सेंगर सूचना एवं प्रसारण मंत्री
8- श्री भोला प्रसाद गौतम सदस्य
9- श्री संजय शर्मा सदस्य
संरक्षक
1- श्री पंडित यज्ञदत्त त्रिपाठी एडवोकेट, पूर्व बार संघ अध्यक्ष
2- गिरेंद्र सिंह कुशवाहा, अध्यक्ष उत्तर माध्यमिक शिक्षक संघ
3- श्री दयाराम एडवोकेट, पूर्व बार संघ अध्यक्ष
4- श्री जगरूप सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य
आप सभी का हार्दिक आभार अभिनन्दन। आपने अपने श्रम, अपनी श्रद्धा, अपने सहयोग से संस्था को शिखर पर पहुँचाने का प्रयास किया। अन्त में मैं अपने पति श्री जगरूप सिंह पूर्व प्रधानाचार्य, जिनकी प्रेरणा और सहयोग से ही 'माया' भी है और यह 'मौन की मंत्रणा' भी, और मेरे बेटे दीपेन्द्र सिंह पत्नी वंदना सिंह, जितेन्द्र सिंह पत्नी रेखा सिंह, बेटी- डा. नेहा सिंह वरि.वैज्ञानिक पति श्री आशीष सिंह, नाती देव प्रताप सिंह, हर्ष प्रताप सिंह, अध्ययन सिंह, नातिन- मनु, तनु, रक्षा सिंह, बहुयें बेटी मेरी जीवन यात्रा के सहयोगी सभी को बहुत-बहुत दुलार आशीर्वाद।
'मौन की मंत्रणा' कहानी संग्रह मेरे सुधी पाठकों, विद्वानों, लेखकों, समीक्षकों को समर्पित है। आप ही मेरे परीक्षक हैं, पुस्तक को पढ़ें और मुझे आशीर्वाद देने की कृपा करें ।
डॉ. माया सिंह 'माया'
संस्थापक अध्यक्षा :
संवेदना साहित्य समिति (पंजी.)
1008, राजेन्द्र नगर, बैंक कॉलोनी
उरई-जालौन, (उ.प्र.) 285001
मो. 6388149225, 9793972791
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