नई पुस्तकें >> वैकेन्सी वैकेन्सीसुधीर भाई
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आज के परिवेश का उपन्यास
विकास दो-चार कम्पनियों के इन्टरव्यू दे चुका था पर अभी तक कहीं सेलेक्ट नहीं हो पाया था। आज इसी सिलसिले मे एक कम्पनी में इन्टरव्यू देने के लिये विकास दिल्ली आया हुआ था। कम्पनी एक मल्टीनेशनल कम्पनी थी जिसे अपने प्रोडक्ट की मार्केट बढ़ाने के लिये टीम लीडर तथा अन्य स्टाफ की आवश्यकता थी। विकास सुबह ठीक दस बजे ही आफ़िस पहुँच जाता है। ऑफिस के वेटिंग रूम में 20-25 प्री सेलेक्टिव लगभग एक ही उम्र के कण्डीडेट फाइनल इन्टरव्यू के लिये मौजूद थे। लड़कियों की संख्या इक्का-दुक्का ही थी। आफ़िस का स्टाफ और एच.आर. विभाग भी पहले से ही आ गया था। कई कण्डीडेट भी विकास से पहले आये हुए थे। इन्टरव्यू तीन चरणों में हो रहा था और रिजल्ट भी आज ही डिक्लेयर होना था। विकास को अपने नम्बर का इन्तजार करते-करते चार घन्टे हो चुके थे तब कहीं जाकर विकास का नम्बर आ पाया था। विकास पहले आफ़िस में जाता है जहाँ एक, अपटूडेट ओल्ड ऐज, सीनियर व्यक्ति इन्टरव्यू ले रहा था। विकास का रिज्युमे पहले ही से इन्टरव्यूवर की टेबल पर मौजूद था।
विकास : गुड नून सर।
इन्टरव्यूवर : "गुड नून, सिट हेयर, ओके मि. विकास। टाक एबाउट योरसेल्फ।
विकास के पास जो हमेशा इस प्रश्न के उत्तर के लिये तैयार रहती थीं वही चार लाइनें बोल देता है।
इन्टरव्यूवर : विकास, आपने अपनी हाबीज के बारे में नहीं बताया।
विकास : प्लेइंग फुटबाल, लिशन म्यूजिक!!
इन्टरव्यूवर : ओ.के विकास, आप क्यों सोचते हैं कि आप को इस कम्पनी में होना चाहिये?
विकास : क्योंकि सर, आई एम डेडीकेटेड एबाउट वर्क, पैसिनेट, हार्ड वर्कर, आई फिनिश माय टास्क इन ए गिवेन टाइम, टारगेट ओरिएन्टेड।
इन्टरव्यूवर : ओ.के. विकास, पर आपके पास टीम लीड करने का कोई अनुभव भी नहीं है। हम कैसे मान लें कि आप में एक मैनेजमेन्ट क्वालिटी है।
विकास : सर मैं कालेज टाइम में भी अपने कालेज की फुटबाल टीम का कैप्टन रहा हूँ और एन.सी.सी में भी अण्डर अफ़सर की रैंक पर लीड किया है। ये उसके सर्टिफिकेट हैं। मैं लोगों को सही डायरेक्शन में लीड कर सकता हूँ।
इन्टरव्यूवर : खेल की बात और है, ये नौकरी है खेल नहीं। नेक्स्ट सेक्शन में जाइये।
इन्टरव्यूवर ने कुछ चिन्ह विकास के रिज्यूमे में बनाये और चपरासी को आगे के आफ़िस के लिये फारवर्ड कर दिया।
अगले राउण्ड का इन्टरव्यू टेक्निकल सेक्शन के लिये था। कम्पनी अपने प्रोडक्ट की सेल के लिये ये देखना चाहती थी कि बन्दा कितने टेक्निकल तरीक़े से प्रेजेन्टेशन दे सकता है।
दूसरा आफ़िस, कम्पनी के बॉस का आफ़िस था जो वेल डेकोरेटड और बड़ा था।
बॉस : ओ.के विकास, आपको अपने जाब प्रोफाइल के बारे में कुछ आइडिया है।
विकास : सर मुझे सबमर्सिबल पम्प की सेल को देखना है।
बॉस : क्या आप इसके टेक्निकल स्पेसिफिकेशन के बारे में कुछ जानते हैं?
विकास : नो सर, आई हैव नो आइडिया एबाउट दिस, बट इफ कम्पनी प्रोवाइड मी टेक्निकल ट्रेनिंग, आई कैन लर्न इन मिनिमम टाइम।
बॉस : ओ.के, विकास, बट आई फील योर इंग्लिश काम्यूनिकेशन इज नाट गुड।
विकास : सर इसकी दिक्कतें सीखने में नहीं आयेंगी और जो भी कमी है उसे जल्द ही दूर कर लूँगा।
बॉस : ओ.के, नेक्स्ट सेक्शन में जाइये।
विकास उस आफ़िस से बाहर निकलता है और चपरासी उसको अगले सेक्शन में ले जाता है।
अगला सेक्शन उसके जस्ट इमीडीयेट सीनियर का था जिसके अण्डर में विकास को रिपोर्टिंग करनी थी और जो मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत था।
मैनेजर : विकास आपके फ़ादर क्या करते हैं?
विकास : सर वो दुकानदार हैं।
मैनेजर : किस चीज की दुकान है?
विकास : सर रेडीमेड कपड़ों की दुकान है।
मैनेजर : पर विकास यहाँ आपको सबमर्सिबल पम्प सेल करने हैं। हमारे एक्सिस्टिंग डीलर नेटवर्क पर और नये डीलर बनाने हैं, अनरिप्रेजेन्टेड एरिया में कर पायेंगे?
विकास : क्यों नहीं सर।
मैनेजर : जाब में वाइड ट्रेवलिंग होगी। आपको अन्य शहरों में भी जाना होगा।
विकास : मैं कर लूँगा सर।
(विकास मन ही मन सोच रहा था कि अब वो सरकारी नौकरी की तैयारी के लिये कोचिंग कैसे कर पायेगा। परन्तु फिर भी उसने सेलेक्ट होता हूँ या नहीं ये देखने के चक्कर में ही जोश भरी हामी भर दी थी)
मैनेजर : ठीक है विकास आप अभी मीटिंग रूम में वेट कीजिये।
विकास कम्पनी के मीटिंग रूम में भेज दिया जाता है। जहाँ साथ के वो लड़के भी बैठे थे जो इन्टरव्यू दे चुके थे और जिनको अभी रुकने को कहा गया था। मीटिंग रूम एक बड़ा सा हाल था। जिसके सेंटर पर एक अण्डाकार बड़ी मेज रखी हुई थी जिसके चारो तरफ क़रीब चालीस कुर्सियाँ रखी हुईं थीं। सामने की दीवार पर एक बड़ा सा व्हाइट बोर्ड लगा हुआ था। उसके ठीक ऊपर सीलिंग पर प्रोजेक्टर फिक्स था जो कि सीधे व्हाइट बोर्ड पर अपना डिस्प्ले देता था। कमरे में मौजूद कण्डीडेट एक दूसरे से अपरिचित थे। शायद इसी वजह से एक साइलेंट माहौल बना हुआ था। मींटिंग हाल में सी.सी. टी.वी. लगा हुआ था और कण्डीडेट्स को लगता था कि उनकी एक्टिविटी पर भी निगाह रखी जा रही होगी, इसलिये कोई भी आपस में बातचीत की पहल नहीं करना चाहता था।
शाम के चार बज चुके थे इन्टरव्यू के लिये एक दो कण्डीडेट अभी और बाकी थे। विकास मीटिंग रूम से बाहर निकलकर चपरासी से पूछता है–"क्या ज्वाइनिंग लेटर भी आज ही देंगे?"
चपरासी : बता नहीं सकते सर।
विकास : अच्छा, मैं अभी कुछ खा-पीकर आता हूँ। अगर कोई पूछे तो बता देना की मैं आफिस के नीचे ही हूँ।
चपरासी : ठीक है सर।
विकास आफ़िस की बिल्डिंग से बाहर आकर खुली हवा में साँस लेता है तो कुछ अपने आप में सुकून महसूस करता है। आफ़िस का माहौल इतना गम्भीर था कि विकास को एक अजीब सी घुटन हो रही थी।
बिल्डिंग एक पाश एरिया में थी जो काफ़ी साफ-सुथरा था और सड़कों पर ट्रैफिक भी कम था। यहाँ की अधिकतर बिल्डिंग में एम.एन.सी.एस के आफ़िस ही थे। आसपास अच्छी दुकानें और फ़ास्ट फ़ूड सेंटर थे। विकास ने एक फ़ास्ट फ़ूड की दुकान पर एक डोसा खाया। फिर वहीं एक पार्क में कुछ देर टहलने लगा। एक घन्टे बाद विकास को लगा की आफ़िस चलना चाहिये क्योंकि अब तक शेष कण्डीडेट्स के भी इन्टरव्यू खत्म हो गये होंगे। विकास आफ़िस पहुँचता है।
"अरे विकास सर आपको एच.आर. मैनेजर ने बुलाया है"- विकास को आफ़िस में देखते ही चपरासी बोला।
विकास : मुझे?
चपरासी : जी सर, आप वो सामने वाले आफ़िस में अपनी फ़ाइल लेकर चले जायें।
विकास उस केबिन में जाता है जहाँ एक खूबसूरत यंग रिक्र्यूटमेन्ट आफ़ीसर अपने असिस्टेन्ट को कुछ दिशा-निर्देश दे रही होती है।
रिक्र्यूटमेन्ट आफ़िसर : वेलकम विकास। आई एम जिनी, रिक्र्यूटमेन्ट आफिसर आफ दिस कम्पनी। आई एम गिविंग यू गुड न्यूज़ दैट यू आर नाउ सेलेक्टेड इन दिस कम्पनी। प्लीज शो योर ओरिजनल मार्कशीट एण्ड सर्टीफिकेट्स।
विकास : ये लीजिये मैम।
जिनी : ओके विकास, ये हम चेक करते हैं तब तक आप कम्पनी की ये कुछ पेपर फार्मेलिटीज़ हैं इसे पढ़कर साइन कर दें।
विकास : ओके मैम।
एकाएक विकास को यकीन नहीं हो रहा था कि उसका सेलेक्शन हो गया है। वो अपने जीवन की पहली नौकरी करेगा। उसके हाथ में अपनी मेहनत की कमाई होगी। सब कुछ अचानक ही हो गया। एक पल में दुनिया कितनी खूबसूरत सी दिखने लगी।
विकास पेपर लेकर मीटिंग रूम में जाता है, जहाँ चार कंडीडेट और मौजूद थे जिनका विकास के ही साथ सेलेक्शन हुआ था और वो भी अपनी पेपर फार्मेलिटी पूरी कर रहे थे।
विकास सभी से : हेलो फ्रेण्ड्स।
"हेलो"- सभी कण्डीडेट्स ने विकास की तरफ हाथ बढ़ाकर स्वागत किया और उसे सेलेक्ट होने की बधाई दी।
विकास ने भी सभी को उनके सेलेक्शन की बधाई दी।
पेपर वर्क पूरा करके जमा करने के बाद जब रिक्र्यूटमेन्ट मैम से कम्पनी का ज्वाइनिंग लेटर मिला तो सभी के चेहरे की ख़ुशी देखते ही बनती थी।
रिक्र्यूटमेन्ट मैम : ‘सबसे पहले आप सभी कण्डीडेट्स को आपके चयन की बधाई। आप लोगों की डेट ऑफ़ ज्वाइनिंग आज से ठीक पन्द्रह दिन बाद की है और आप लोगों को इसी आफ़िस में रिपोर्टिंग करनी है। अब आप सभी लोग जा सकते हैं।" ये कहकर रिक्र्यूटमेन्ट मैनेजर मीटिंग रूम से चली गई।
उसके मीटिंग रूम से जाते ही विकास ने अपने ज्वाइनिंग लेटर को कसकर सूँघा तो साथ के कुलीग पूछ बैठे -"ये क्या कर रहा है भाई।"
विकास ने मुस्कुराते हुये कहा : भाई खुशबू सूँघ रहा हूँ अपने सेलेक्शन की।
साथ के सभी साथी जोर से हँस दिये और फिर एक दूसरे के लिये बधाइयों का दौर शुरू हो गया।
समय काफी हो गया था। आफ़िस से बाहर निकलते-निकलते और बाकी सेलेक्टेड साथियों से विदा लेते–लेते रात के सात बज चुके थे। सड़कें सुनसान और अँधेरे में डूबने लगी थीं। विकास ने बिल्डिंग से बाहर आकर एक गहरी साँस ली और ऊपर वाले का धन्यवाद दिया। फिर पिता को अपने सेलेक्शन की जानकारी देने के लिये फोन मिलाया।
फोन पर बेटे से उसके सेलेक्शन की जानकारी पाकर मुन्नूबाबू की खुशियों का तो मानो का ठिकाना ही न रहा।
प्राइवेट ही सही, आज बाहर की दुनिया में उसके बेटे को किसी लायक तो समझा गया। आज बहुत दिन बाद मुन्नूबाबू ने विकास से बहुत आत्मीयता से बात की, आशीर्वाद दिया और घर आने को कहा। मुन्नूबाबू को इस समय ऐसा फील हो रहा था कि जैसे अभी-अभी सर से कोई बोझ हल्का हुआ हो। व्यापार की परेशानियों के बीच भी मुस्कुराने की वजह तो मिली।
घर आने के सम्बन्ध में विकास ने कहा : बाबू जी रात में ट्रेन में कोई कन्फर्म सीट नहीं मिलेगी और मैं कल जरा दिल्ली घूमकर परसों तक घर आ जाऊँगा।
मुन्नूबाबू : ठीक है बेटा, पर तू ठहरेगा कहाँ?
विकास : मैं रूम ले लूँगा किसी लाज या होटल में।
मुन्न्नुबाबू : ठीक है बेटा। ख्याल रखना अपना और समय पर घर आ जाना।
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