नई पुस्तकें >> जो विरोधी थे उन दिनों जो विरोधी थे उन दिनोंराजकुमार कुम्भज
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राजकुमार कुम्भज की कविताएँ
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अनुक्रम
1. एक दिन होगा 11
2. घर में 12
3. यह संसार 13
4. आदमी 14
5. बन्द है घड़ी 15
6. अर्द्ध-रात्रि, मध्य-रात्रि और कुत्तों की भौंक 16
7. इस भयावह समय-संसार में 17
8. ओछे दिन गए पीछे 18
9. है प्रेम वहाँ 19
10. चालीस सोलह सत्तर 20
11. वक़्त – चेहरा 21
12. एकान्तिक-चारागाह 22
13. फैल गई यह एक अफ़वाह किसी एक देश में 23
14. सच के वध–वक़्त 24
15. सवाल गुल का है 26
16. सफ़ेद-सच 27
17. अत: और अंतत: उन्हें जूते 28
18. मैंने देखा कि 29
19. मछली–जीवन 30
20. शराफ़त के लिए ज़रूरी 31
21. लोकतंत्र के शत्रु 32
22. तो क्या हो एक साथ एक दिन ? 33
23. जब से हँसे हैं सम्राट 34
24. और जो नहीं है उनका 35
25. अच्छे आदमी का घृणित हो जाना 36
26. तो आख़िर क्यों ? 37
27. पाप 38
28. पुष्टि का संहार 39
29. दद्दा 40
30. आपका उद्धरण नहीं 41
31. मैं ठहर गया वहीं 42
32. सिर्फ़ एक पर्दा है 43
33. हालाँकि ग्रीष्म है यह 44
34. अर्थी के अर्थों वाली भाषा में 45
35. मासूम 46
36. सम्भवतः 47
37. सच बोलते वक़्त 48
38. अजन्ता में 49
39. प्रेम-संसार का साहस 50
40. मगर मैंने चुना डूब जाना 51
41. वह ताप-स्वाद 52
42. और उड़े तितली 53
43. याद आती है एक लड़की 54
44. अगड़म-बगड़म 56
45. जैसे कोई एक खरगोश-प्रश्न 58
46. बीत-राग 59
47. एक रात ये ख़याल आया 60
48. तय तो तुम्हें ही करना है यह 61
49. अँधेरे में जागता है कवि 62
50. ऐसा माना जा रहा है 63
51. मैं दाल-रोटी की जुगाड़ में था बस 65
52. जो विरोधी थे उन दिनों 66
53. सरकारी वकील का तर्क 68
54. चाबुक 69
55. लोकतंत्र का विश्वास 70
56. ईश्वर की बकरियाँ 71
57. प्रतीक्षा-पत्र 72
58. इस बारिश में उसका सिर 73
59. लोकतंत्र–लोकतंत्र 75
60. जो न होता लोकतंत्र 76
61. आप ही कीजिये तय 78
62. गाते हुए जयगान 79
63. शब्द और शब्दों के अर्थ 80
64. सीधी कार्रवाई सीधा सवाल है 81
65. और दी कायरता भी 82
66. ऐसा क्यों है? 83
67. वहाँ लोकतंत्र था 84
68. आँखें खुलते ही 85
69. अधिक अच्छी रोशनी होने से 86
70. मैं आजकल हकलाता क्यूँ हूँ ? 87
71. किया प्रेम 89
72. थके-थके से शब्द हैं तो भी 90
73. किसी एक देश के अनुभव में 91
74. किन्तु एक बार फिर दोहराया उसने 92
75. सिर ऊपर 94
76. जो बेचारा हरिराम 95
77. इस वीराने में 96
78. नदी को बहने दो 97
79. हर हाल जीतेगा आदमी 99
80. कथावाचक सही है 100
81. इतिहास नहीं बदलता है 101
82. पुष्प का प्रश्न वहाँ भी 102
83. मैंने पूछा तू कौन? 104
84. अकस्मात् तड़ातड़ बिजली 105
85. एक टोपी, एक आदमी 106
86. एक शेर, एक प्यास 107
87. मैं नियम से चलता हूँ 108
88. एक अँधेरे से गुज़रते हुए 109
89. ताकि मैं जान सकूँ कि मैं हूँ 110
90. कुछ जगह ख़ाली है 111
91. किसी दिन कहीं भी 112
92. जिस दिन देखा कि 113
93. किन्तु अंकुरित क्या ? 114
94. और अगर 115
95. चलता रहता है जीवन 116
96. कुशल कारीगर 117
97. ज़िन्दगी एक पुल है 118
98. इस जीवन में 119
99. रो रहे हैं किसान 121
100. प्रेम का अलाव 123
101. दुःख है कि कविता ? 125
102. हत्या के बाद क्षमा कैसी? 127
103. कहाँ के लिए चले थे? 128
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