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ग्रामीण पत्रकारिता : चुनौतियाँ और संभावनाएँ

सुशील भारती

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :138
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16819
आईएसबीएन :9789355189288

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भारत को गाँवों का देश कहा जाता है। आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा अभी भी गाँवों में रहता है। उसकी आजीविका का साधन कृषि और उस पर आधारित उद्योग हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि आज़ादी के सात दशक बीत जाने पर भी यह राजनीतिक मुद्दा ही बना रह गया। प्रशासनिक स्तर पर विकास के केन्द्र में कभी ग्रामीण भारत नहीं आ पाया। विकास का प्रवाह शहरोन्मुखी ही रहा। 70 प्रतिशत आबादी की उपेक्षा कर भारत को समृद्ध बनाने का दिवास्वप्न देखा जाता रहा। देश में कहीं भी गाँव को शहर नहीं बनाया गया बल्कि शहर की गाँवों में घुसपैठ कराई जाती रही। बात सिर्फ़ बुनियादी सुविधाओं की नहीं, संस्कृति की है।

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