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आँख का पानी

दीपाञ्जलि दुबे दीप

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16640
आईएसबीएन :978-1-61301-744-9

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दीप की ग़ज़लें


अनुक्रम

1. विनय माँ सुनो शारदे हम बुलाएँ    21
2. रफ़्ता रफ़्ता दिल पर मेरे एक असर हो जाएगा    22
3. काफ़िया मिला लेना शाइरी न समझा जाए    23
4. भरोसा अगर हो तो इक़रार होगा    24
5. आँखों के आँसुओं को बहाकर ग़ज़ल कहो    25
6. कर लें यक़ी हमारा ये कहते ज़बाँ से हम    26
7. दिल का लगाना इक तरफ़ और दिल जलाना इक तरफ़    27
8. रास आया न हमें सब पे निछावर होना    28
9. मौला तू मुझे राह दिखाने के लिए आ    29
10. दिन हसीं लगने लगे रातें सुहानी हो गईं    30
11. रंगत कोई नई लगे चलती बयार में    31
12. मुझे होश अपना न अपनी ख़बर है    32
13. दुश्मनी सी निभाती मिली ज़िंदगी    33
14. रोज मँहगाई का बढ़ना नहीं देखा जाता    34
15. हर क़दम पर साथ देता हमसफ़र अच्छा लगा    35
16. ये हसीं सा तेरा चेहरा मेरे दिल का है तराना    36
17. ख़ुशबुओं का हिसाब होना था    37
18. आज गाँधी सा कोई बंदा ख़रा मिलता नहीं    38
19. है रंज अगर कोई बता क्यों नहीं देते    39
20. लिखें हिंदी पढ़ें हिंदी कहें हिंदोस्ताँ हिंदी    40
21. आशिकी अपनी जगह है शायरी अपनी जगह    41
22. मेरे महबूब ने दीवाना बना रक्खा है    42
23. बजा डंका रहा अपना हमारी शान है भारत    43
24. हमने निभाये रिश्ते हैं ज़िंदा-दिली के साथ    44
25. गुजारा प्रेम से जीवन सभी की ही भलाई में    45
26. कोई शिकवा न गिला था पहले    46
27. किस्मत के फैसले हमें मंजूर हो गये    47
28. कैसे कह दूं मेरा तुझसे नाता नहीं    48
29. हँसना भी आप से मेरा रोना भी आप से    49
30. चले हम जहाँ से हैं खुद को मिटा के    50
31. मुहब्बत में नहीं ढूंढी कभी भी खामियाँ हमनें    51
32. इस ज़िंदगी में मेरी कुछ बंद खिड़कियाँ हैं    52
33. ये मुश्किल घड़ी तुम गुजरने तो दो    53
34. मेरी हर इक खुशी वो चुरा ले गई    54
35. तू अपने रुख़ से जुदा गर ह़िजाब कर देगा    55
36. याद आयी मुझको वो भूली कहानी आज फिर    56
37. कैसे यक़ीन कर लें अदाकार आदमी    57
38. हमारे नाम का ये कर्ज हम उतार चले    58
39. हम आज में खुश होलें किसने है ये कल जाना    59
40. है कन्हैया मेरी बंदगी के लिए    60
41. आज शिकवा न कोई गिला रह गया    61
42. क्यूँ बुलाते हो नहीं केदार आने के लिए    62
43. इश्क़ में मिलता है धोखा यह समझना चाहिए    63
44. यक़ीन कैसे करें तुम्हारा कि रोज़ हमसे वफ़ा करोगे    64
45. कृष्ण जैसा हो यहाँ दोस्त निभाने वाला    65
46. जिंदगी तेरी ही नज़र होगी    66
47. मुहब्बत का नहीं होता असर हम क्या करें    66
48. मिट गया राणा शिवा पर सिर झुका पाया न था    68
49. कितने सुंदर रूप हैं घनश्याम के    69
50. इजहार करके ख़ुद ही इनकार कर दिया है    70
51. रौशनी आँखों की मुबहम क्या करें    71
52. ख्वाहिश थी उजाले की घर अपना जला बैठा    72
53. ये ज़मीं क्या आसमाँ भी आपका हो जाएगा    73
54. कितने भी हों ग़म यहाँ घबराएं क्या    74
55. छुपाती ही रही हूँ अपनी आँख का पानी    75
56. न डर अब बुजुर्गों का कोई रहा है    76
57. उस्ताद जान जाते हैं अल्फ़ाज़ देखकर    77
58. ख़िजां का मौसम सदा रहा तो ये सारा जीवन गुबार होगा    78
59. समंदर में जो उतरे हैं पता है उनको साहिल का    79
60. मुहब्बत में सभी से बेख़बर है    80
61. इश्क़ में तरसे सदा दीदार को    81
62. तेरा बदला हुआ चेहरा नहीं देखा जाता    82
63. नहीं रोक सकते चली मैं जिधर हूँ    83
64. उनकी शरण में आया तो क्या क्या बना दिया    84
65. उस बेवफ़ा ने छीनी हर इक ख़ुशी हमारी    85
66. रास सबको नहीं आती है मुहब्बत यारों    86
67. ज़ख़्म यूँ उसने दिया है घाव बस गहरा नहीं है    87
68. हो आशिक़ी तो यार से रूहानगी भी हो    88
69. तुम्हें चाहा तुम्हें पूजा तुम्हीं में मन मगन अपना    89
70. ग़र्दिश़ भरे वो दिन मेरा खोया ज़हान था    90
71. प्रेम तो इस हिंद का वरदान है    91
72. गुलाबी इश्क़ की ऐसी किताब दे जाओ    92
73. आए तेरे शहर में हैं    93
74. पुराने ग़म को भुलाओ बहुत उदास है दिल    94
75. तेरे ही प्यार का मैं एहतिराम करती हूँ    95
76. पाने को हर घड़ी तुझे हसरत जवान है    96
77. गुलशन-ए-गुलज़ार की बातें करें    97
78. दिल ही दिल में छुपा रहा है इश्क़    98
79. मन में उसको बसा के देख लिया    99
80. कोई मुश्किल से यहाँ मिलता निभाने वाला    100
81. तमाम उम्र तूझे प्यार बेशुमार किया    101
82. हमको उल्फ़त से वो तर क्या करते    102
83. नहीं जाती हूँ मैं मंदिर मेरी माँ खुद शिवाला है    103
84. बीच रास्ते छोड़ा यार बेवफ़ा पाया    104
85. दिल से दिल गर मिल गया तो राब्ता हो जाएगा    105
86. हम अपना दर्द तो सबसे छुपा के बैठ गए    106
87. क्या क्या न ज़माने में सियासत निगल गई    107
88. वो मेरे दिल से जो बाहर निकले    108
89. हाय क्या सोचा और क्या निकला    109
90. रहते हैं सदा वो तो अपने ही गुमानों में    110
91. जो देख लेगा आपको यूँ बिन नक़ाब के    111
92. मुसीबत में कभी हमको न यारो डगमगाना है    112

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