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मैं था, चारदीवारें थीं

राजकुमार कुम्भज

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16638
आईएसबीएन :978-1-61301-740-1

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राजकुमार कुम्भज की 110 नई कवितायें

शायद, मैं कवि होना चाहता हूँ

 

मैं नदी होना चाहता हूँ
ताकि मुझमें तैरती मिलें मछलियाँ
मैं हवा होना चाहता हूँ
ताकि मुझमें उड़ती मिलें चिड़ियाएँ

मैं आग होना चाहता हूँ
ताकि मुझमें उठती मिलें ज्वालाएँ

शायद, मैं कवि होना चाहता हूँ ।

 

 

 

 

 


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