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जीवनी/आत्मकथा >> क्या हैं कलाम

क्या हैं कलाम

आर. रामनाथन

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :212
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1655
आईएसबीएन :81-7315-434-1

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प्रस्तुत है डॉ कलाम के जीवन पर आधारित पुस्तक...

Kya Hain Kalam

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भारत के बारहवें राष्ट्रपति डॉ. अवुल पकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व सम्मोहक बहुपक्षीय है। उनका महत्त्व रामेश्वरम के एक अनजान ग्रामीण लड़के से राष्ट्रपति भवन की यात्रा तक सीमित नहीं हैं। वह बचपन से ही मानवीयता तथा आध्यात्मिकता से प्रेरित रहे। उन्होंने अपने जीवन में सपनों को साकार करने का प्रयत्न किया और सफलता ने उनका दामन नहीं छोड़ा। ‘मिसाइल पुरुष’ नाम से प्रख्यात डॉ. कलाम सन् 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाना चाहते हैं। इस पुस्तक में डॉ. कलाम के एक निकट सहयोगी श्री आर. रामनाथन उनके बारे में बताते हैं कि डॉ. कलाम हमेशा आकाश की ऊँचाइयों तक पहुँचने के इच्छुक रहे हैं। वे वैज्ञानिकों की टीमें, अमलतास वन तथा पक्षी अभयारण्यों के प्रेमी सतत विकसित तकते रहे। वे बच्चों के मस्तिष्क को प्रज्वलित करने के अपने मिशन को जारी रखे हुए हैं।   

 डॉ. कलाम क्या हैं कौन हैं वह सभी के प्रेम, सम्मान तथा प्रशंसा के पात्र क्यों हैं वे कौन सी बातें हैं जो उन्हें लोकप्रिय बनाती हैं कौन सी विशेषताएँ उन्हें दूसरों से भिन्न बनाती हैं यह पुस्तक इन प्रश्नों का सर्वथा सही उचित और सार्थक उत्तर देने का प्रयास करती है। यह न तो पारंपरिक अर्थों में जीवनी हैं न ही आलोचनात्मक विश्लेषण। यह पुस्तक सामान्य रूप से डॉ. कलाम के व्यक्तित्व को उनके साथ निकट रूप से काम कर चुके व्यक्ति की नजरों से देखने का प्रयास करती है। यह पारंपरिक अर्थों में जीवनी है न ही आलोचनात्मक विश्लेषण। यह पुस्तक सामान्य रूप से डॉ.कलाम के व्यक्तित्व को उनके साथ निकट रूप से काम कर चुके व्यक्ति की नजरों से देखने का प्रयास करती है। यह डॉ. कालाम के व्यक्तित्व तथा जीवनी के अप्रकट पहलुओं पर प्रकाश डालती है और पाठक को उनके व्यक्तित्व के बारे में एक गहरी समझ विकसित करने में मदद करती है इस पुस्तक के माध्यम से डॉ.कलाम का बहुपक्षीय दूरद्रष्टा व्यक्तित्व प्रौधोगिकी तथा राष्ट्र के विकास के अलावा संगीत साहित्य एवं पर्यावरण में भी रुचि रखते हैं। उनके व्यक्तित्व की जो विशेषता सबसे अधिक प्रेरक है, वह है उनकी मानवीय संवेदना।

ज्ञान का द्वीप जलाए रखूँगा


 
‘हे भारतीय युवक
ज्ञानी-विज्ञानी
मानवता के प्रेमी
संकीर्ण तुच्छ लक्ष्य
की लालसा पाप है।
मेरे सपने बड़े
मैं मेहनत करूँगा
मेरा देश महान् हो
धनवान् हो, गुणवान हो
यह प्रेरणा का भाव अमूल्य है,
कहीं भी धरती पर,
उससे ऊपर या नीचे  
दीप जलाए रखूँगा
जिससे मेरा देश महान हो।’

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम


समर्पित


तमिनायडु के वेल्लोर जिले के कालपुदुर की लड़की सुडरक्कोडी को। बच्चों की तमिल मासिक पत्रिका ‘चुट्टी विकतन’ से पूछे गए अपने प्रश्न का सबसे अच्छा जवाब मिला। उसने पूछा था, ‘आप को खुद को इनमें से क्या मानते हैं-वैज्ञानिक, तमिल, अच्छा मनुष्य या भारतीय ?’ उनका जवाब था, ‘एक अच्छे मनुष्य में बाकी तीनों मिल सकते हैं।’’ डॉ. कलाम का मानवीय पक्ष ही उनकी पहचान है।   

आमुख


महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन के अनगिनत पहलू हैं। कुछ के लिए वह ‘मिसाइल पुरुष’ हैं तो कुछ के लिए भारतीय वैज्ञानिक विकास के स्वप्न-द्रष्टा। उनकी राष्ट्र-भावना और अपने देश भारत के प्रति उनकी श्रद्धा, आस्था और निष्ठा को देखते हुए उन्हें दो सौ प्रतिशत भारतीय कहा जाता है। बच्चों के लिए वह अच्छाई की आभा फैलाने वाले प्रेरणा के ‘पुंज’ हैं।  उनकी आत्मकथा एक व्यक्ति तथा वैज्ञानिक के रूप में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। किंतु फिर भी मेरा मानना है कि इस व्यक्ति के बारे में जानने के लिए अब भी बहुत कुछ शेष है, जिन्होंने कई पुरस्कार-सम्मान तथा गौरवशाली उपाधियाँ प्राप्त करने के बाद भी अपनी विनम्रता बरकरार रखी है। चूँकि मैंने एक व्यक्ति के रूप में डॉ. अब्दुल कलाम की विशेषताओं पर अधिक ध्यान देने का प्रयास किया है, अतः मैं एक और जीवनी लिखने का दावा नहीं करता। यह ‘कलाम कौन हैं’ का एक गहरा अध्ययन है। मैं आरंभ में ही वास्तविक बात स्वीकार करना चाहता हूँ-वह एक बहुत अच्छे मनुष्य हैं !
 
डॉ. कलाम पर एक और पुस्तक क्यों ? आखिरकार, डॉ. कलाम ने खुद अपनी आत्मकथा ‘अग्नि की उड़ान’ सहित तीन उत्कृष्ट पुस्तकें लिखी हैं। अन्य दो पुस्तकों-‘भारत 2020 नवनिर्माण की रूपरेखा’ और ‘तेजस्वी मन’ में उन्होंने देश के विकास के लिए अपनी दृष्टि और 2020 तक भारत को एक विकसित देश का दर्जा दिलाने के लिए युवाओं के प्रति अपने सपनों तथा उम्मीदों को स्पष्टतः अभिव्यक्त किया है।

इस पुस्तक के लेखन की बात दिमाग में आने पर मुझे भी ऐसी आशंकाएँ हुईं। फिर मैंने स्वयं डॉ. कलाम से इस संबंध में सलाह ली, जिसके साथ मुझे बहुत नजदीकी से लगभग सात वर्ष तक काम करने का गौरव प्राप्त हुआ और उसके बाद भी मेरे उनके नजदीकी संबंध बने रहे। आरंभ में वह इस योजना  को स्वीकृति देने में हिचकिचा रहे थे; क्योंकि वह अपने व्यक्तित्व की प्रस्तुति नहीं चाहते थे; इसकी बजाय वह ऐसी परियोजना को सहयोग देने को जरूर सन्नद्ध थे, जो भारत को विकास पथ पर ले जाने के उनके सपने को आगे बड़ाने में मदद देती। मैंने उनसे कहा कि वास्तव में वह देश के युवाओं के लिए श्रद्धा के पात्र बन गए हैं, जो एक आदर्श की तलाश में हैं उन पर ऐसे किसी कार्य, जो युवाओं को अपने नायक के बारे में अधिक अंतरंग विवरणों को जानकर अपने आगामी दायित्त्वों पर ध्यान केंद्रित करने में जरा भी मदद करे, को उनके द्वारा प्रोत्साहन किया जाना चाहिए। विनम्रता तथा संकोच के कारण उन्होंने अपने व्यक्तित्व के कई पक्षों को बाहर आने से रोक रखा है, जो देश के युवाओं तथा आम जनता को काफी प्रभावित करेंगे।

वह मेरे से सहमत हो गए और मुझे स्वतंत्र तथा भयमुक्त होकर लिखने कि सलाह दी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जहाँ आवश्यक हो वहाँ मुझे आलोचनात्मक भी होना चाहिए।
यह पुस्तक डॉ. कलाम के सार्वजनिक व्यक्तितव के पीछे छिपे व्यक्तित्व के बारे में है। हालाँकि यह प्रकट करने वाला नहीं है, क्योंकि वह एक पारदर्शी व्यक्ति हैं और उनका जीवन एक खुली किताब है। परन्तु उनके जीवन के कई ऐसे पहलू हैं जो केवल उन कुछ लोगों को ही मालूम हैं जिन्हें उन्हें करीब से देखने का  अवरस मिला है। ये छोटी-छोटी घटनाएँ कुछ खास परिस्थितियों में उनकी तात्कालिक प्रतिक्रिया, उनकी निजी आदतें और रुचियाँ उनके व्यक्तित्व का संपूर्ण खाका खींचने मे मदद करती हैं। यह पुस्तक उनके लाखों प्रशंसकों की जिज्ञासाओं को शामिल करने में मददगार है, जो उनके व्यक्तित्व के निर्माण के सभी पहलुओं के बारे में जानने को उत्सुक हैं।

 मेरे मित्रों तथा परिचितों द्वारा उनके विषय में बार-बार प्रश्न पूछे जाने पर मेरे सामने इस पुस्तक की आवश्यकता अनुभव हुई। मैंने अनुमान लगाया कि यही उत्सुकता युवाओं तथा जनता के दिमाग में विद्यमान होगी और उनके पास संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई प्रामाणिक स्त्रोत नहीं होगा।

इस पुस्तक में उनके व्यक्तित्व को कई दृष्टिकोणों से उभारा गया है। पहला और सर्वप्रमुख, वह एक सराहनीय मनुष्य हैं। शुरुआत उनके मानवीय गुणों को उभारने से की गई। उनकी सराहनीय जीवन-शैली एक ऐसे विद्यार्थी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है जो उस व्यक्ति के बारे में बेहतर से समझना चाहता है। वह युवाओं को बड़े सपने देखने को प्रेरित करते हैं। उनके ‘स्वप्निल’ पहलू के बारे में जानना दिलचस्प होगा। उनकी रुचियों की परिधि बहुत व्यापक है। यह सब लोग जानते हैं वह कविता लिखते हैं और वीणा बजाते हैं; किंतु यह सीमित जानकारी उनके व्यक्तित्व के साथ पूरा न्याय नहीं करती। उनके व्यक्तित्व की सार्वभौमिकता को उभारते हुए एक पूर्ण चित्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। इस पहलू को एक पूरा अध्याय समर्पित है। कई लोग सार्वजनिक शख्सियतों के प्रति अपनी धारणा अखबारों तथा पत्रिकाओं से एकत्रित छिटपुट सूचनाओं से बनाते हैं। हममें से कुछ, जिन्होंने डॉ. कलाम को नजदीक से देखा है, लोगों द्वारा प्रदर्शित सहज प्रेम की कई घटनाओं के गवाह रहे हैं। उनमें से कुछ कोमल क्षणों को इस पुस्तक  में प्रस्तुत किया गया है।

अपनी पुस्तकों में डॉ. कलाम ने डॉ. विक्रम साराभाई, प्रो. सतीश धवन, डॉ. ब्रह्मप्रकाश तथा अन्य लोगों की नेतृत्व क्षमताओं के संबंध में चर्चा की है और कहा है कि उन्होंने उनमें प्रबंधन की कला सीखी। उन्होंने अपनी प्रबंधन-शैली के बारे में भी बताया है। इस पुस्तक में उनके नजदीकी व्यक्तियों की दृष्टि से उनकी प्रबंधन-शैली की चर्चा की गई है। उनके लिए ऐसे नजदीकी मित्र हैं, जिनके साथ वह खुलकर बात करते हैं। वह बच्चों के प्रति अधिक स्नेहिल व आकर्षित होते हैं और बच्चे भी उसी अनुवाद में प्रतिक्रिया करते हैं। इसमें उन लोगों के दृष्टिकोण को एकत्रित करने का प्रयास किया गया है, जो लंबे समय से, उनकी कई क्षमताओं को प्रतिबिंबित करता है। उनके कुछ सहयोगियों ने उनके साथ अपने अनुभवों को उत्साहपूर्वक बाँटा है। इन सबको एक अलग अध्याय में सँजोया गया है।
रामेश्वरम के एक शर्मीले युवक से देश की एक महत्त्वपूर्ण शख्सियत तक के क्रमिक बदलाव को समझना एक दिलचस्प अध्ययन लोगों के साथ उनके जुड़ाव, जिसने उन्हें एक राष्ट्र-निर्माण के रूप में बदल दिया, को उभारते हुए ऐसा किया गया है।

डॉ. कलाम को कई उपलब्धियाँ प्राप्त हैं। संप्रति केवल अक्सर दुहराई जानेवाली उपलब्धियाँ ही लोगों को ज्ञात हैं। राष्ट्र-निर्माण में महत्त्वपूर्ण सिद्धहोने वाले कुछ अन्य के बारे में बात करना उपयोगी होगा। डॉ. कलाम को कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। जबकि बड़े सम्मान जैसे ‘भारत रत्न’ के बारे में काफी लिखा गया है; कई अन्य सम्मानों का अखबारों में संक्षिप्त जिक्र किया गया। यद्यपि उन्हें सम्मानित करनेवाले संस्थान ऐसा करके स्वयं सम्मानित हुए।
यह न तो डॉ. कलाम की जीवनी है, न ही उनके व्यक्तित्व का आलोचनात्मक अध्ययन। उनके व्यक्तित्व के प्रायः कम ज्ञात पहलुओं को प्रस्तुत करने और सन् 2020 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के उनके स्वप्न की दिशा में प्रयास करने के उनके आह्वान के प्रति पाठकों में रुचि जाग्रत करने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक को डॉ. कलाम द्वारा लिखित पुस्तकों के पूरक रूप में देखा जा सकता है। मुझे आशा है कि डॉ. कलाम को अधिकाधिक जानने की इच्छा रखनेवाले किसी भी गंभीर जिज्ञासु के लिए यह पुस्तक अन्य पुस्तकों की उपयोगी अनुपूरक सिद्ध होगी। जहाँ भी आवश्यकता अनुभव हुई, इस पुस्तक को संपूर्ण बनाने के लिए अन्य पुस्तकों के प्रासंगिक अंशो को उदधृत करते हुए उनका संदर्भ दिया गया है।

 कई लोगों ने मुझसे पूछा है कि मैंने डॉ. कलाम के व्यक्तित्व के नकारात्मक पक्षों को पूरी तरह उपेक्षित करते हुए केवल साकारात्मक गुणों पर ही बल क्यों दिया है ? मैं इसका दोषी हूँ, परंतु मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है। मैं जानता हूँ कि कोई भी व्यक्ति संम्पूर्ण नहीं होता है। चूँकी मैं इस पुस्तक को युवाओं को एक नए एवं जीवंत भारत के निर्माण में योगदान करने तथा डॉ. कलाम का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करनेवाला एक प्रकाश-स्तंभ बनाना चाहता हूँ, इसलिए मैंने केवल प्रेरक पक्षों पर ही प्रकाश डाला।
 
इस पुस्तक की अन्य विशेषता यह है कि मैंने अपने संस्मरणों के एक छोटे अध्याय के अतिरिक्त स्वयं पृष्ठभूमि में रहना पसंद किया है; अंत में कोई शायद ही जीवनी लेखन पर ध्यान देगा। ऐसा मैंने जानबूझ कर किया है। मैं डॉ. कलाम और पाठकों के बीच नहीं रहना चाहता। मैं केवल उनके मूल्यों तथा सपनों को प्रस्तुत करने का माध्यम भर हूँ।
मैं अपनी पत्नी रुक्मिणी के प्रोत्साहन के बिना यह कार्य आरंभ नहीं कर पाता। उन्होंने सुझाव दिया कि फरवरी 2002 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद में डॉ. कलाम के विषय में लिखते हुए अपने समय का सदुपयोग कर सकता हूँ। यह राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया के प्रति मेरा एक छोटा योगदान होगा। मेरे पुत्रों बदरी तथा साई ने उत्साहपूर्वक उनके विचार का समर्थन किया और इस पुस्तक ने आकार लेना आरंभ कर दिया। परंतु पुस्तक लेखन के बीच में सुधार का प्रस्ताव मेरी पुत्रवधू चिन यी की ओर से आया। उसने प्रारंभिक अंशो को पढ़ा और बोली, ‘पिताजी, मैं इस पुस्तक में उस आदमी को कहीं नहीं देख रही हूँ। आप केवल उस बारे में लिख रहे हैं, जैसा आपने उन्हें आधिकारिक रूप में देखा है।’ एक मार्गदर्शक के रूप में उनके स्वतंत्र निरीक्षण के बाद मुझे पुस्तक के अंशों पर पुनः काम करना पड़ा।

मैं डॉ. कलाम को केवल पिछले दस वर्षों से नजदीक से जानता हूँ। कई अन्य लोगों ने उनके साथ अधिक लंबे समय तक कार्य किया है। मैं उनमें से कुछ को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ और उन्होंने बिना हिचकिचाहट के इस पुस्तक में उल्लेखनीय योगदान दिया है। मैं खास तौर पर डॉ. ए.एस. पिल्लई, मेजर जनरल स्वामीनाथ, डॉ. सालवान, डॉ. सेल्वा मूर्ति, श्री वाई. एस. राजन, श्री शेरिदन तथा श्री प्रसाद के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूँ। इन लोगों के लिए यह कार्य एक स्नेहपूर्ण प्रयास अधिक था, जैसा कि यह मेरे लिए था। मुझे ‘येलो हैवन ग्रुप’ के सदस्यों से बातचीत करने का गौरव प्राप्त हुआ, जो प्रतिदिन डॉ. कलाम के साथ वॉक के लिए जाते थे। उनके द्वारा प्रदत्त सूचनाएँ इस प्रकार इस पुस्तक के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण थीं। मेरे प्रति दिखाए गए अनुग्रह के लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। कई सहयोगियों ने मेरे अनुरोध पर अपनी व्यस्ततम दिनचर्या से समय निकालकर उनके बारे में अपनी धारणाएँ लिखीं। उनके योगदान ने इस पुस्तक को काफी समृद्ध बना दिया है। उनको मेरा विशेष धन्यवाद। कई अन्य के योगदानों का उचित स्थानों पर उल्लेख किया गया है। ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जिसका पुस्तक में उल्लेख नहीं किया गया है, परंतु उनका सहयोग बहुत महत्त्वपूर्ण रहा है। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि किस प्रकार उन सबका धन्यवाद करूँ।

‘कलाम और बच्चे’ अध्याय में आनंद विकतन समूह द्वारा बच्चों के लिए निकाली जा रही मासिक पत्रिका ‘चुट्टी विकतन’ के जुलाई तथा अगस्त 2001 अंक में प्रकाशित बच्चों के अंक में प्रकाशित बच्चों के प्रश्नों तथा डॉ. कलाम के उत्तरों को शामिल किया गया है। उसमें प्रकाशित सामग्री के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए मैं पत्रिका के प्रकाशकों का बहुत आभारी हूँ। इन प्रश्नोत्तरों को देश के अन्य भागों के बच्चे भी पढ़ने में सफल हो पाएँगे और तमिलनाडु के बच्चों की तरह उनका लाभ उठा सकेंगे।

मैं डॉ. कलाम का अत्यंत आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे यह पुस्तक लिखने की अनुमति दी। उन्होंने मुझे बच्चों द्वारा उन्हें भेजे गए पत्रों, पेंटिंग्स तथा कविताओं को उदारतापूर्वक इस्तेमाल करने की अनुमति दी। उनमें से कुछ को मैंने इस पुस्तक में प्रकाशित करने के लिए चुना। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के पुस्तकालय के चित्रों तक भी मेरी पहुँच सुनिश्चित की।
डॉ. एस. के. सालवान, डॉ. ए. एस. पिल्लई, श्री प्रह्लाद तथा श्री नारंग ने कुछ दुर्लभ तसवीरों को उपलब्ध कराया, जिनमें से कुछ का इस पुस्तक में उपयोग किया गया है। मैं इस सहयोग के लिए उन्हें हार्दिक धन्यावाद देता हूँ। मुझे आशा है कि पाठक डॉ. कलाम की इन कुछ अप्रकाशित तसवीरों को देखना पसंद करेंगे।
इस पुस्तक में किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मैं पूरी तरह जिम्मेदार हूँ, हालाँकि मैं उपर्युक्त सभी पर बहुत हद तक निर्भर रहा हूँ।

मेरा यह प्रयास तभी सार्थक होगा, जब हमारे युवा डॉ. कलाम के पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित होंगे और उनके सपनों के ‘विकसित भारत’ के निर्माण हेतु कार्य करेंगे।

-आर. रामनाथन

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एक मानवतावादी के मेरे संस्मरण



वह अप्रैल 1993 का समय था। तब डॉ. कलाम डी.आर. डी. ओ. के महानिदेशक और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे। वित्तीय सलाहकार का पद रिक्त होने के कारण वह इस पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति की तलाश में थे। मैं रक्षा उत्पादन विभाग में संयुक्त सचिव तथा वित्तीय सलाहकार के रूप में काम कर रहा था। मुझे लगा कि मेरे लिए डॉ. कलाम के साथ काम करने का एक सुअवसर था, जो उस समय तक एक महत्त्वपूर्ण शख्सियत बन चुके थे। मैंने अपने तात्कालिक बॉस रक्षा सेवाओं के वित्तीय सलाहकार श्री बी.वी. अदनी से बात की. ताकि डी. आर.डी.ओ में जाने की संभावना पर विचार किया जा सके। उनकी प्रतिक्रिया बहुत साकारात्मक थी।

 उन्होंने डॉ. कलाम से बात की, जो श्री अदवी का बहुत सम्मान करते थे। हम एक-दूसरे से परिचित नहीं थे। हम दोनों कुछ समय के लिए भारत डायनामिक्स लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डाररेक्टर के सदस्य थे, जब वह डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेटरी (डी.आर.डी. एल.) के निदेशक थे। अलबत्ता, हम केवल एक मीटिंग के साथ सम्मिलित हुए थे, क्योंकि उसके तुरंत बाद वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में दिल्ली चले गये थे। उन्होंने मेरे बारे में पूछताछ की और इस बात पर संतुष्ट होने के बाद कि मुझे वित्तीय सलाहकार के रूप में नियुक्त करना डी.आर.डी.ओ. के लिए लाभदायक होगा, उन्होंने श्री अदवी को अपनी सहमति दे दी। सामान्यतः सरकारी विभागों में ऐसे स्थान-परिवर्तन आसान वहीं होते। बहरहाल, डॉ. कलाम के सहयोग से जल्दी ही स्वीकृति मिल गई। इस प्रकार मेरे आधिकारिक कैरियर का सबसे लाभप्रद समय आरंभ हुआ।

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