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			 नई पुस्तकें >> सिसृक्षा का तत्व दर्शन सिसृक्षा का तत्व दर्शनमुकुंद लाठ
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मुकुन्द लाठ के अलावा यशदेव शल्य ने हिन्दी में मौलिक और दार्शनिक चिन्तन किया है। इन दोनों के बीच लम्बे अरसे तक बौद्धिक साहचर्य और संवाद रहा। उनके कुछ रुझानों और वैचारिक सरोकारों में साझेदारी भी रही है। यशदेव शल्य जैसे बड़े दार्शनिक पर मुकुन्द जी की यह पुस्तक दोनों के बीच अनवरत चलते रहे संवाद का मूल्यवान् प्रतिफल है। रज़ा फ़ाउण्डेशन इस पुस्तक को प्रकाशित कर प्रसन्नता अनुभव कर रहा है।
						
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