नई पुस्तकें >> प्राश्निक प्राश्निकमुकुंद लाठ
|
0 |
मुकुन्द लाठ उन दुर्लभ विद्वानों में से रहे हैं जिनकी विद्वत्ता और चिन्तन के वितान में विचार, परम्परा, आधुनिकता, धर्म-चिन्तन, सौन्दर्य – शास्त्र, संगीत, ललित कला आदि सभी शामिल थे। अपने कुछ मूल आग्रहों के बावजूद मुकुन्द जी खुले चित्त से, कई बार विनोद भाव से संवादपरक भाषा में अपना चिन्तन अंकित करते थे। उनकी जिज्ञासा, उनकी प्रश्नवाचकता और उनकी स्मृति हमेशा उदग्र रही और इस पुस्तक में शामिल उनका हर निबन्ध हमें कुछ-न-कुछ विचारोत्तेजक बताता, कुछ-न- कुछ नयी दृष्टि उकसाता और हमारे ज्ञान के भूगोल को विस्तृत करता है।
|