नई पुस्तकें >> एक शॉट बाकी है एक शॉट बाकी हैअपूर्व
|
0 |
कायदे से अपूर्व पहले पत्रकार हैं फिर कथाकार। और जब एक ठेठ पत्रकार कहानी लिखने का उद्यम करता है तब वह सच के धागे का एक सिरा कसकर थामे रखता है। कई बार उनका सच इतना मारक होता है कि पाठक एकबारगी ठिठक कर रह जाय। अपने पत्रकारीय गुण के कारण अपूर्व को भी कल्पना की जरूरत सिर्फ चरित्रों के नाम परिवर्तन तक पड़ी है। अपूर्व यह परिवर्तन करते हैं तब भी उन्हें वाले आसानी से भाँप लेते हैं कि फलां-फलां चरित्र आज किधर हैं। संग्रह की कुछ कहानियाँ पढ़कर कई बार ऐसा प्रतीत होता है मानो कहानीकार ने कहानी लिखने का हुनर राजेन्द्र यादव से सीखा हो। सम्भवतः इस वजह से इनकी कहानियों में राजेन्द्रीय गुण धूमधाम से विद्यमान है। अपूर्व जिस विषय और परिवेश को आधार बनाकर कहानियाँ बुनते हैं, बुनियादी तौर वह सम्भ्रान्त दुनिया की कहानी है; अनदेखी, अनजानी और रहस्यमय दुनिया की कहानी। इन कहानियों में एक खास तरह का कौतूहल और चौंकाने वाले बयान भी हैं। अपूर्व की कहानियों में गजब का कथारस है। उनके नैरेशन के अद्भुत प्रवाह का कायल कोई भी हो सकता है। कहानियों के अनेकानेक प्रसंग सिनेमैटिक हैं, जिस कारण रह-रहकर आँखों के आगे दृश्य सा उभरता है। संग्रह की प्रायः सभी कहानियाँ पाठकों को बाँधे रखने में सक्षम हैं।
|