नई पुस्तकें >> मानस से देवते मानस से देवतेकर्मजीत सिंहइकबाल सिंह लालपुरा
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सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी की वाणी में मानवता से प्रेम, सेवा, आत्मीयता एवं सुरक्षा भाव के दर्शन होते हैं। इतिहास केवल विगत और वर्तमान घटनाओं का हो सकता है, परंतु बाबा नानक जी की वाणी का हर शब्द 'आदि सचु, जुगादि सचु, है भी सचु, नानक होसी भी सचु' की बात करता है। उन्होंने सिखों के मन में उत्तम पुरुष के सभी गुणों को स्थापित करने के प्रयास किए। उनकी वाणी अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है और यह भी सिद्ध करती है कि गुरु की वाणी मनुष्य को देव समान बनाती है। सिखों की पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब में बाबा नानक जी द्वारा रचित 974 शब्द जो 19 रागों में दर्ज हैं, उनमें से कुछ शब्द चुनकर प्रस्तुत ग्रंथ में गुरु नानक देव जी महाराज के दर्शन का परिचय है। इस पुस्तक में अकाल पुरख प्रभु का स्वरूप और उससे मिलने की विधि, कुदरत द्वारा भगवान की आरती, जीवन का सत्य, विद्या के रूप, महिलाओं के सम्मान, पूर्ण संत की परिभाषा, निरोग रहने की विधि, उत्तम राज्य की संकल्पना, जीवन बदलने के उपाय आदि पर विचार किया गया है।
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