उपन्यास >> कुट्राल कुरिंजि कुट्राल कुरिंजिकोवि मणिशेखरनत शि क कण्णन
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प्रस्तुत कथाकृति कुट्राल कुरिंजि तमिष़ भाषा में इसी नाम के उपन्यास का हिन्दी अनुवाद है। यह एक सामाजिक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसकी पृष्ठभूमि उन्नीसवीं सदी के आरंभ में तंजावूर का राजनीतिक इतिहास है। मुत्तुस्वामी दीक्षितर और त्यागराज जैसे चरित्रों का चित्रण करते हुए लेखक ने संगीत के अपने ज्ञान का सुंदर उपयोग किया है। उपन्यास की विषयवस्तु सामान्य मनुष्य पर कर्नाटक संगीत के प्रभाव का आकलन है। उपन्यास की नायिका कुट्राल कुरिंजि के माध्यम से लेखक ने दिखाया है कि संगीत जात-पाँत और धर्म इत्यादि की सीमाओं को सहज ही पार कर जाता है। अपने दृष्टिकोण की उदात्तता, प्रभावशाली चरित्र-चित्रण, संगीत की शक्ति से साक्षात्कार और घटनाओं के मोहक वर्णनों से यह उपन्यास भरपूर है, जिसके प्रस्तुत हिन्दी अनुवाद में भी मूल का-सा आस्वाद मिलता है।
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