उपन्यास >> आभास आभासवर्षा अडालजासत्यनारायण स्वामी
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आभास साहित्य अकादेमी से गुजराती भाषा में पुरस्कृत अड़सार उपन्यास का हिंदी अनुवाद है। इस कृति में कथाकार वर्षा अडलजा ने कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास और इस बीमारी के साथ जुड़े सामाजिक कलंक की समस्या को उठाया है। यह प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति को अंतर्मुख करनेवाली तथा जीवनमूल्यों का अन्वेषण करने के लिए प्रेरित करनेवाली कृति है। ‘अणसार’ का अर्थ है – ‘ईश्वर की घंटी’। हर किसी के मन में ईश्वर की एक घंटी होती है। हर एक के मन में सत्-असत् प्रवृत्तियों का संघर्ष जारी रहता है। संवेदनशील व्यक्ति के मन में जब उस ईश्वर की घंटी की आवाज़ आती है और वह संघर्ष जब अस्तित्व ही को चुनौती देता है, तभी उस घंटी की गूँज सुनाई देती है और मनुष्य की ‘मनुष्यता’ ही अपनी चरमसीमा तक पहुँचती है। जिसकी ‘मनुष्यता’ ऐसी चरमसीमा तक पहुँची है उस रूपा के संघर्ष की यह कहानी है। इस उपन्यास के माध्यम से कथाकार ने यह दिखाया है कि एक रोग के कारण समाज और अपने परिवार तक में त्याज्य-सा जीवन जीने के लिए रोगग्रस्त व्यक्ति विवश हो जाता है। अनेक परेशानियों की एक लंबी श्रृंखला शुरू हो जाती है। इस उपन्यास में मोह और विमोह के दो ध्रुवों को इस कौशल के साथ स्पर्श किया गया है कि कथाचरित्र का दारुण कष्ट और निर्मोही समाज का वास्तविक चेहरा बयाँ हो जाता है। इस उपन्यास की मार्मिक भाषा और बेचैन कर देनेवाले संवाद कथा को अपनी पूरी तीक्ष्णता के साथ प्रस्तुत करते हैं।
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