नाटक-एकाँकी >> ताश का देश ताश का देशरबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर (1861-1941) की बहुमुखी और वैविध्यपूर्ण रचना-यात्रा उनके पाठकों को एक साथ आनंदित, चमत्कृत और अनुप्राणित करती है। वे बाङ्ला या भारतीय भाषाओं के ही रचनाकार नहीं, विश्वकवि के नाते भी विख्यात हैं। उन्होंने साहित्य, संस्कृति और कला के हर क्षेत्र में अपना योगदान किया। रवीन्द्रनाथ एक ऐसे विरल और विलक्षण कवि, कथाकार, नाटककार और चित्रकार हैं – जिन्होंने सभी उम्र के पाठकों के लिए रचना-प्रणयन किया। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, नाटक, उपन्यास, निबंध, पत्र आदि भारतीय साहित्य की अनमोल निधि हैं। उनकी कृतियाँ आज भी अत्यंत चाव से पढ़ी जाती हैं। तीसरा देश - ‘ताश का देश’ उनकी सुप्रसिद्ध नाटिका है, जो लगभग सौ वर्षों से अपने पाठकों और दर्शकों का मनोरंजन कर रही है। साहित्य अकादेमी इसे सचित्र प्रकाशित कर गर्व का अनुभव कर रही है।
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