कहानी संग्रह >> धमाल पंपाल के जूते धमाल पंपाल के जूतेप्रकाश मनु
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‘धमाल पंपाल के जूते’ वरिष्ठ साहित्यकार तथा बच्चों के जाने-माने लेखक प्रकाश मनु द्वारा लिखी गई अठारह सुंदर और रसपूर्ण बाल कहानियों का गुलदस्ता है। इनमें कहीं बाल मन की अबोधता और नटखटपन है तो कहीं हास्य-विनोद के रंग। कहीं पशु-पक्षियों से बच्चों के प्यार और दोस्ती की अलबेली छवियाँ हैं, तो कहीं विज्ञान का अनोखा रहस्य-लोक, जो पाठकों को किसी और ही दुनिया में पहुँचा देता है। कहीं बच्चों के छोटे-छोटे सुख-दुख, शिकवे-शिकायतें और उलझनें हैं तो कहीं ऐसा कौतुक और रोमांच भी, जो बाल पाठकों को कुछ चकित और हैरान कर इन कहानियों के साथ-साथ बहा ले जाता है। लिहाजा एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद, जब तक वे सभी कहानियाँ पढ़ न लें, पुस्तक उनके हाथ से छूटती नहीं है।
‘धमाल पंपाल के जूते’ संग्रह की ज्यादातर कहानियों के नायक बच्चे हैं, जिनमें सबकी अलग-अलग विशेषता है। कुछ में चपलता और मस्ती की उमंग है तो कुछ में ऐसी हिम्मत और दिलेरी भी, जो हर किसी को हैरान करती है। कुछ में बाल मन की निर्मल भावना है, जिससे वे इस दुनिया को कुछ और अच्छा और सुंदर बनाने के लिए निकल पड़ते हैं, और सचमुच कुछ कर दिखाते हैं। कुछ में देशभक्ति का जोश और जज्बा है। कुछ बच्चे थोड़ा रास्ता भटकते भी हैं, पर वे अपनी भूल-गलतियों से सीखते हैं, और जल्दी ही सही राह पर आ जाते हैं। ये बाल मन से जुड़ी सीधी-सहज कहानियाँ हैं। इसलिए इन्हें पढ़ते हुए बाल पाठकों को लगता है कि ये उन्हीं की कहानियाँ हैं। उनकी अपनी कहानियाँ, जिनमें उनके छोटे-छोटे सुख-दुख और मुश्किलें हैं। साथ ही नटखटपन से भरी उनकी ऐसी मीठी शरारतें और खिलंदड़ापन भी, जिससे वे हर किसी के दिल में अपनी जगह बना लेते हैं।
फिर इन कहानियों में दादी-नानी की कहानियों सरीखा किस्सागोई का जादू, कौतुक और रस-आनंद है, जो बाल पाठकों को लुभाता है। इन कहानियों को पढ़ते हुए वे बिना पंखों के ही उड़ना सीख लेते हैं, और एक से एक मनोरम दुनियाओं की सैर कर लेते हैं। साथ ही, दादी-नानी की तरह ही ये कहानियाँ बच्चों को खेल-खेल में बड़ी सीख भी देती हैं, जिससे कि उनके दिल में दूसरों के लिए प्यार, करुणा और हमदर्दी पैदा होती है। और वे सच ही, आगे चलकर एक सुंदर दुनिया रचते हैं।
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