आलोचना >> समय से संवाद समय से संवादनामवर सिंह
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नामवर सिंह की विचार-यात्रा और आलोचना-यात्रा को प्रगतिशील आन्दोलन की यात्रा से जोड़कर देखा जाना चाहिए। वे इस आन्दोलन की सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक थे। जन-पक्षधर और प्रतिबद्ध विचारों के लिए संघर्ष करने का साहस उन्हें इसी से मिलता था।
आज आन्दोलन पर चौतरफा दबाव है। भारतीय समाज और राजनीति में लोकतांत्रिकता, जनवाद और संवाद पर गहरा आक्रमण हो रहा है। फ़ासीवाद, कट्टरपन्थी और अधिनायकवादी विचारों को प्रतिबन्ध, दुष्प्रचार और शक्ति-प्रयोग से लादा जा रहा है। प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष विचारों को कैद, हिंसा और हत्या के रास्ते चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
ऐसे में विभिन्न विचारधाराओं को माननेवाले लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और जन-पक्षधर लोगों को ‘अप्रतिहत गरज रहा अम्बुधि विशाल’ आन्दोलन पैदा करना ही होगा। नामवर जी अतीत में इस ‘गरज’ में एक अनिवार्य ‘स्वर’ की तरह मौजूद थे।
‘समय से संवाद’ नामवर जी की निर्भ्रान्त समझ और बौद्धिक संघर्ष शीलता का आइना है। इस पुस्तक को सामयिक विषयों पर प्रकाशित स्वतंत्र पुस्तक ‘जमाने से दो दो हाथ’ की श्रृंखला में देखा जा सकता है।
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