कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत वाह रे पवनपूतअसविन्द द्विवेदी
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पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य
WAH RE PAWAN POOT - a Hindi Book by Aswind Dwivedi
आशीर्वचन
प्रिय पाठक जी अनन्त श्री विभूषित परमहंस महाराज के सुभाशीष से हमारे ही अमेठी गौरीगंज क्षेत्र के श्री असविन्द द्विवेदी जो आधुनिक अवधी भाषा के बहुत ही कुशल निर्भिक साहसी कवि हैं, साथ ही अध्यात्म के प्रति आप का विशेष झुकाव बाल्यकाल से ही रहा है। इस कड़ी में अनेक रचनायें भी की हैं जिन्हें आज काव्य जगत में अपना उच्च स्थान प्राप्त है। अमेठी ही नहीं जनपद का सौभाग्य है, इस सपूत को पाकर, जन-जन में जिसकी चर्चा है। यह सुपुनीत काव्य ‘वाह रे पवनपूत' संकट मोचन श्री हनुमान जी महाराज के प्रति जो रचना की है, काव्य जगत में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेगी। अन्त में मेरा आशीर्वाद है कि आजीवन ऐसे पुनीत काव्यों की रचना करते रहें।
श्री 1008 स्वामी श्री हरिचैतन्य
ब्रह्मचारी जी महाराज
प्रबन्धक श्रीमत् परमहंस आश्रम
टीकरमाफी, अमेठी, सुल्तानपुर (उ.प्र.)
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