भारतीय जीवन और दर्शन >> पं दीनदयाल उपाध्याय : एकात्म मानव दर्शन की प्रासंगिकता पं दीनदयाल उपाध्याय : एकात्म मानव दर्शन की प्रासंगिकताडॉ. अलका द्विवेदी
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पं दीनदयाल उपाध्याय : एकात्म मानव दर्शन की प्रासंगिकता
प्रथम श्वास से प्रथम शब्द तक
प्रथम ज्ञान से प्रथम कर्म तक
जीवन के प्रारंभ से मेरे विश्व तक
मुझमें व्याप्त मेरे गुण धर्म में मिश्रित
मेरे पूज्य श्रद्धा-विश्वास रूपी
गुरु रूपी माँ श्रीमती सरला
एवं
मेरे प्रथम नायक से आराधक तक
पिताश्री नरेंद्र द्विवेदी जी
को सादर समर्पित।
- अलका द्विवेदी
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- अनुक्रमणिका
अनुक्रम
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