नाटक-एकाँकी >> चंद्रगुप्त मौर्य चंद्रगुप्त मौर्यएल एन सावित्री शुक्ला
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चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन पर एक नाटक
चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन पर एक नाटक
श्रेय समर्पण
श्रद्धेय डॉ. श्यामबाबू जी गुप्त द्वारा 'सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य' शीर्षक से नाटक लिखने का निर्देश प्राप्त करते समय मुझे वैसी ही अनुभूति हुई थी जैसी कि कला वर्ग के परीक्षार्थी को भौतिक शास्त्र का प्रश्नपत्र हल करने को दिये जाने पर होती। कठिन क्या, असंभव सा ही लग रहा था नाटक लेखन क्योंकि उसमें कथानक केवल पात्रों के संवादों द्वारा आगे बढ़ाना होता है।
अपने अध्यापन काल में लघु नाटकों का लेखन किया था परन्तु उनके सभी पात्र काल्पनिक रहे। ऐतिहासिक नाटक, वह भी सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के संबंध में जिन्हें उनकी विलक्षण प्रतिभाओं एवं पराक्रम के कारण कहीं कहीं 'विष्णु का अवतार' तक कहा गया है, थोड़ा क्या, बहुत कठिन कार्य था मेरे लिये उस समय। परन्तु श्रद्धेय डाक्टर साहब के मुझ पर विश्वास, उनके प्रोत्साहन एवं मार्ग दर्शन के कारण ही नाटक लेखन संभव हो सका है।
अतः इस रचना में मेरा श्रेय नहीं- श्रेय आकारहीन मिट्टी का नहीं होता उसको आकार देने वाले शिल्पी का होता है।
-एल.एन. सावित्री शुक्ला
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