कला-संगीत >> लोकनाट्य परम्परा में नौटंकी लोकनाट्य परम्परा में नौटंकीडॉ. लखन लाल खरे
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लोकनाट्य परम्परा में नौटंकी
तीक्ष्ण विश्लेषणपरक दृष्टि इस कृति में परिलक्षित होती है।
नौटंकी के विविध पक्षों को जानने-समझने का उपक्रम इस कृति में पूरे मनोयोग से किया गया है। प्रमुख विशेषता तो यह है कि तथ्यों की प्रामाणिकता को पुष्ट करने हेतु विभिन्न संदर्भित ग्रंथों का आश्रय ग्रहण किया गया है। कृति में सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्षों का अद्भुत समन्वय है, और इसीलिए यह कृति भविष्य की अनुपम और अद्वितीय धरोहर सिद्ध होगी।
डॉ. महेन्द्र अग्रवाल
संपादक, नई गजल त्रैमासिकी,
सदर बाजार, शिवपुरी (म.प्र.)
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