आलोचना >> परशुराम शुक्ल के बाल काव्य में पर्यावरण एवं वन्य जीव परशुराम शुक्ल के बाल काव्य में पर्यावरण एवं वन्य जीवडॉ. स्वप्नदीप परमार
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परशुराम शुक्ल के बाल काव्य में पर्यावरण एवं वन्य जीव
डॉ. परशुराम शुक्ल द्वारा रचित बाल काव्य में पर्यावरण एवं वन्यजीव: एक अध्ययन पर ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है इसमें स्वप्नदीप परमार ने पर्यावरण और मानव जीवन, पर्यावरण प्रदूषण, स्वस्थ पर्यावरण का महत्व के साथ, वन्य जीवन, पर्यावरण, वन्य जीव संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण जैसे अनेक बिंदुओं पर विचार किया है। निश्चय ही यह ग्रंथ शोध के नवीन चिन्तन को उद्घाटित करता है।
पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण वर्तमान परिदृश्य में प्रासंगिक मुद्दे हैं। ग्रंथ विषय की गहनता और गंभीरता को प्रकट करने के साथ ही इस विषय में डॉ. शुक्ल द्वारा किये गये कर्म को उद्घाटित भी करता है।
आधुनिक परिवेश में इस ग्रंथ की उपादेयता के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। प्रस्तुत ग्रंथ आगामी शोधार्थियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगा, इसके माध्यम से बाल साहित्य में वन्यजीव और पर्यावरण जैसे विषय प्रकाश में आयेंगे और डॉ. शुक्ल का बाल साहित्य भी प्रकाश में आयेगा।
- प्रो. साधना निर्भय
विभागाध्यक्ष-हिन्दी
शासकीय कन्या स्नातकोत्तर
महाविद्यालय, उज्जैन
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