नारी विमर्श >> नारी चेतना का आयाम नारी चेतना का आयामअलका प्रकाश
|
0 |
‘‘प्रस्तुत पुस्तक में अपने अस्तित्व स्थापन के लिए सदियों से संघर्षरत नारी और उसकी चेतना के विविध रूपों का चित्रण है। समाज की एक इकाई के रूप में अपनी पहचान की निर्मिति के लिए नारी ने जिस अदम्य जिजीविषा एवं प्रबल इच्छा शक्ति का परिचय दिया, उसका यहाँ खुलकर विश्लेषण किया गया है। भारतीय समाज में परम्परागत नारी की छवि, उसका ऐतिहासिक स्वरूप तथा नारी चेतना को प्रतिबिंबित करने वाले हिंदी साहित्य की सम्यक् मीमांसा की गई है। नारी ने धर्म, आस्था, परंपरा, मूल्य एवं व्यवस्था से यदि असंतोष प्रकट किया है, तो इसके पीछे के निहित कारणों को प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से समझा जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में नारी चेतना के संश्लिष्ट आयामों का विवेचन हुआ है, जो पूरी पुस्तक में बेबाकी से अभिव्यक्त हुआ है।’’
-प्रो. शैल पाण्डेय हिन्दी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय
यह पुस्तक उन सभी सुधी पाठकों के लिए एक नयी सोच विकसित करने में सहायक हो सकती है, जो जीवन की बारीकियों को अपने जीवन की अनुभूतियों से समझना चाहते हैं। मेरा मानना है कि अनुभूति एवं तदनुभूति के बीच एक झीनी दीवार है, जिसे समझने के लिए लेखक या लेखिका को जीवन की बारीकियों की एवं मनोवैज्ञानिक समझ होना जरूरी है। प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
– अजय प्रकाश वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डी०आर०डी०ओ०
|