कविता संग्रह >> पखेरू गंध के पखेरू गंध केदेवेन्द्र सफल
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गीत संग्रह
अनुक्रमणिका
1. प्राण को कारा मिली
2. वन्द किवाड़ न खालो
3. कुछ नहीं हासिल
4. देखते दर्पण
5. कभी डर-सा लगता है
6. सुधा-कलश पाया
7. सभी के दुख हमारे है
8. में बँट न सका
9. सारी शते तय कर लो
10. आँधियों के सिलसिले
11. धड़कनें बागी हुई है
12. धूप सहारा है
13. काल के बीते प्रहर
14. सीमा अनन्त है
15. कर गया है शूल घायल
16. कोई हमें बुलायेगा
17. घट भर लूँ कैसे
18. तुम रहे निर्झर
19. मौसम बदलाव लिये है
20. द्वार खुले रह जाते
21. उठने लगे तूफान
22. राह सरल है
23. छवि से नाते टूटे
24. मधुऋतु आई
25. नाम नहीं देना
26. थकी तूलिका
27. में अकेला हूँ नहीं
28. मुझको छल गया
29. शगुन हो रहे मुहाने
30. मुखत अपने अधर
31. ऐसी पुरवाई डाल गई
32. जगत रहे निदार हम
33. तुम आना मत
34. नयन तुम्हारे रतनारे
35. में दीप जला लेता
36. विश्व सारा घर हमारा
37. प्यास अधूरी
38. सावन धन स छाय
39. हादसा के सिलसिले
40. आज मुझ से हार ला
41. एक सपने के सहारे
42. एक आँख है हँसी
43. आरोही पल मेरे
44. कालिमा घिरने न पाये
45. दूर हुआ है धुंध
46. हम तो भटके
47. टूट गये रस के रिश्ते
48. कह न सक कुछ
49. मन तिरता आकाश
50. अपनापन रूठ गया है
51. ये मनचली हवायें
52. कैसा भाग्य रचा
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