कहानी संग्रह >> चल ख़ुसरो घर आपने चल ख़ुसरो घर आपनेमिथिलेश्वर
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मिथिलेश्वर द्वारा आज के ग्रामीण जीवन की एक सजीव अभिव्यक्ति।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इस संग्रह की कहानियों में आज का गाँव है- अपने सारे राग-विराग, सुख-दुःख के साथ। शहरी संस्कृति ने जिस तरह मानवीय संवेदनाओं को विकृत किया है उसका विद्रूप असर गाँव के सिवानों तक भी फैल चुका है। नतीज़तन अपसंस्कृति और अजनबीपन ने नगरों की तरह ही गाँवों में भी रिश्तों की गरमाहट को कम किया है। दरअसल गाँवों-क़स्बों के इस बदलते जीवन और परिवेश के यथार्थ को ही मिथिलेश्वर की ये कहानियाँ पूरी संवेदनशीलता के साथ बुनती और अभिव्यक्त करती हैं।
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