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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

आसपास काफी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। हर कोई खुसर-पुसर कर रहा था परंतु कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था। कैथरीन ने उस आदमी की तरफ देखा और सहारा देकर उठाने की कोशिश करने लगी। वह 70 साल से अधिक आयु के कोई बाबा थे। उनकी दाढ़ी और बाल काफी लंबे और आपस में उलझे हुए थे। बालों का रंग ग्रे था, मानों आधे सफेद व आधे काले बाल आपस में जुड़े हुए हों। परंतु उनकी त्वचा काफी हद तक उन्हें 50 साल का ही सिद्ध कर रही थी। कपड़ों के नाम पर बाबा ने काले रंग की धोती पहन रखी थी और ऊपर के शरीर पर एक काले रंग की फरवाली कंबल ढक रखी थी। एक और चीज काफी विचित्र थी, उस बाबा ने दाहिने हाथ में एक ब्रेसलेट पहन रखा था, जिस पर एक 3-4 इंच की खिलौना तलवार जैसी आकृति झूल रही थी। साथ ही बाबा के चेहरे का तेज अलग ही आभा बिखेर रहा था।

“मैं ठीक हूँ, बेटा।” बाबा ने मुस्कुराते हुए कैथरीन से कहा।

“पर बाबा आपके पैर से खून निकल रहा है।” कैथरीन ने बाबा के बायें पैर की तरफ देखते हुए कहा, जिससे खून बह रहा था।

“यह खून, थोड़ी देर में अपने-आप ही ठीक हो जाएगा बेटा।” बाबा ने धीरे से खड़े होते हुए कहा।

“नहीं बाबा...आप मेरे घर चलिए। मैं वहाँ आपकी फर्स्ट एड कर दूँगी। मेरा घर यहाँ से 2 मिनट की दूरी पर ही है।”कैथरीन ने बाबा से आग्रह करते हुए कहा। बाबा कुछ कहते इससे पहले ही भीड़ में से एक 25-30 साल के लड़के ने भीड़ से कहना शुरू कर दिया, “आजकल पता नहीं कैसे-कैसे लोगों को माँ-बाप गाड़ी दे देते हैं। इन लड़कियों से चौका-चूल्हा तो संभलता नहीं, आई बड़ी गाड़ी चलाने वाली, इनके खिलाफ तो पुलिस में शिकायत दर्ज होनी चाहिए..क्या कहते हो, भाई लोगों ताकि इन जैसी लड़कियों को सबक मिले और मर्यादा सीखें।”

कोई और कुछ कहता, इससे पहले ही वह बाबा धीरे से उस लड़के के पास गये और बोले, “यह सत्य है कि इस कन्या को गाड़ी धीरे से चलानी चाहिए थी। इसे क्या सभी को धीरे ही चलानी चाहिए, परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि हम किसी महिला को या कन्या को महिला या कन्या होने का ताना दें और उसकी प्रगति में बाधक बनें। वैसे.. बेटा तुमने भी तो पिछले महीने अपने पड़ोस की एक भद्र महिला को अपनी कार से टक्कर मार दी थी। उन्हें मुझसे ज्यादा चोट लगी थी और तुम्हारे सारी कहने पर ही उन्होंने तुम्हें माफ कर दिया था। वह भी एक महिला थीं, परंतु तुम जैसे संकीर्णता के बोझ वाले लोग यह कभी नहीं समझ पाएंगे।”

इतना कहकर बाबा कैथरीन की गाड़ी में बैठ गये। कैथरीन ने गाड़ी स्टार्ट की और अपने घर की तरफ चल दी। इस दौरान भी बाबा के पैर से खून निकल रहा था। रही बात उस भीड़ और लड़के की.. तो लड़का सकपकाया साखड़ा था और भीड़ अब बाबा की बातों पर चर्चा कर रही थी कि उन्हें कैसे पता कि इस लड़के ने महीने भर पहले क्या किया था? कैथरीन ने 2-3 मिनट बाद गाड़ी अपने घर के सामने रोकी और बाबा को सहारा देते हुए, उन्हें घर के दरवाजे तक ले गई। छोटे गमले के नीचे से चाबी निकालकर दरवाजा खोला और बाबा को अंदर ले आयी। उन्हें सोफे पर बिठाकर फर्स्ट एड बाक्स लेने अंदर चली गयी। जब वह बाहर आयी तो उस ने देखा कि बाबा ने अपने पास मौजूद खुद के थैले से एक हरे रंग की पोटली निकाली और उसे अपने पैर के घाव के ऊपर निचोड़ रहे थे, जिससे हरे रंग का द्रव निकला जिसकी भीनी-भीनी खुशबू पूरे कमरे में फैल गई और उस द्रव ने एकाएक ही घाव को भर दिया, जैसे कोई चमत्कार हुआ हो। अगर कैथरीन ने इस घटना को स्वयं नहीं देखा होता तो वह भी शायद यकीन नहीं कर पाती कि ऐसा भी संभव है।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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