कहानी संग्रह >> अनुपम और क्रूर संसार अनुपम और क्रूर संसारआन्द्रेई प्लातोनोवमिखाईल बुल्गाकोव
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इस खंड में रूसी भाषा में लिखनेवाले दो विलक्षण सोवियत लेखकों - मिखाईल बुल्गाकोव और आन्द्रेई प्लातोनोव की रचनाएं शामिल हैं।
मिखाईल बुल्गाकोव (1891-1940 ) अपने जीवन काल में अपनी अधिकांश रचनाओं को प्रकाशित न करवा सके। आज उनकी रचनाओं को विश्व में अधिकाधिक लोकप्रियता प्राप्त हो रही है।
बुल्गाकोव की रचनाएं आधुनिक मानवता को चेतावनी देती हैं कि प्रकृति, स्वयं मानव की प्रकृति के प्रति हिंसा, स्वेच्छाचार के कैसे कुपरिणाम हो सकते हैं।
आन्द्रेई प्लातोनोव (1899 - 1951) मनोवैज्ञानिक गद्य के महारथी माने जाते हैं, उनकी अनोखी शैली विश्व साहित्य में बेजोड़ है। मक्सिस गोर्की उनकी प्रतिभा का ऊंचा मूल्यांकन करते थे। एर्नेस्ट हेमिंग्वे प्लातोनोव को अपना गुरु मानते थे ...
“संवेदना की प्रतिभा... महान लेखकों की पहचान है। आन्द्रेई प्लातोनोब इसी कोटि के लेखक थे, जिन्होंने ठंड से अकड़ी चिड़िया में निःस्पंद होती मानवता को देखा।” (येव्गेनी येव्तुशेन्को , सोवियत कवि)
अनुक्रम
मिखाईल बुल्गाकोव । कहानियां ( अनुवादक - विनय शुक्ला )
- यादों की चिंदियां
- यायावरी
- इक याद बसी है दिल में
- घातक अंडे
- कुत्ते का दिल
आन्द्रेई प्लातोनोव । कहानियां ( अनुवादक - योगेन्द्र नागपाल)
- रेत की मास्टरनी
- ज़रीं और जुमाल
- तीसरा बेटा
- अनुपम और क्रूर संसार
- लोहे की बुढ़िया
- वापसी
- अनजान फूल
- उल्याना
- वतन की पुकार यानी चिड़े का सफ़रनामा
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