आलोचना >> हिंदी भाषा के बढ़ते चरण हिंदी भाषा के बढ़ते चरणडॉ. पूरन चन्द टण्डन
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आलोचना
हम हिन्दी साहित्य के इतिहास को आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल एवं आधुनिक काल में विभक्त करते हैं तो विगत सौ वर्षों की हिन्दी में केवल आधुनिक काल की हिन्दी पर ही विचार करते हैं। इस सौ वर्षों के हिन्दी–इतिहास की भाषा खड़ी बोली हिन्दी है और इसकी लिपि देवनागरी लिपि है। आधुनिक काल में आकर हिन्दी भाषा और साहित्य का जो नवोन्मेष हुआ उसमें देशकाल तथा युग की परिस्थितियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। राजनीतिक कारणों से सन् 1857 के प्रबल विद्रोह को, स्वतन्त्रता संग्राम को, स्वतन्त्रता सेनानियों के वीर गति प्राप्त करने की घटनाओं को, महारानी विक्टोरिया के आगमन को, इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना को, सन् 1920 में कांग्रेस की बागडोर गांधी जी के हाथ चले जाने को, असहयोग आन्दोलन को, मुस्लिम लीग की स्थापना को, सन् 1930 के साम्प्रदायिक दंगों को, 1942 के कांग्रेस द्वारा पास किए गए ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव को सन् 1946 में हुए ‘अन्तरिम सरकार’ के गठन को तथा 15 अगस्त, 1947 को प्राप्त हुई देश की स्वतंत्रता को भुलाया नहीं जा सकता।
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