आलोचना >> अथ किन्नर कथा संवाद अथ किन्नर कथा संवादमहेन्द्र भीष्म
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महेन्द्र भीष्म एक संवेदनशील, परिवेश और समाज के सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध रचनाकार हैं। उनके लेखन में एक ओर क्षरित होती मानवीय संवेदनाओं की तलाश, दूसरी ओर तथाकथित आधुनिकता की दौड़ में शामिल जिन्दगी की विवशताओं में अपसंस्कृति की गर्त में धँसते जा रहे क्षरित जीवन-मूल्यों के चित्र उभरते हैं। इस क्रम में निम्न-मध्य वर्ग जिंदगी के समूचे दायरे में प्रवेश कर चरित्रों को खंगालते हैं। लेखक ने शोषण-विषमता-अन्याय के प्रतिरोध में संवेदना को हथियार बनाया है, जिस प्रकार हिंसा के सामने अहिंसा को बनाया गया था। लेखक का व्यक्तित्व और कृतित्व विनम्रता का द्योतक है। यह उनकी संवेदनशीलता और हढ़ता का प्रतिरूप है। इस क्रम में लेखक के पात्र पलायन नहीं करते। कथ्य और विचारों के विशाल फलक पर उनकी रचनाएं अदृश्य क्षितिजों के पार जाकर मानवीय संवेदना की तलाश करती और मानवीय सरोकारों से जुड़ती हैं।
- प्रताप दीक्षित
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