जीवनी/आत्मकथा >> शेष जी शेष जीशेष नारायण सिंह
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इन लेखों को पढ़ते हुए अहसास होता है कि शेष नारायण सिंह का व्यक्तित्व कैसा था। इसका पहला भाग उस व्यक्ति के बारे में है जिसने अपने रिश्तों को सँजोया और जीवन में मिले सभी लोगों को अपने लेखन का माध्यम बनाया। वह भावुक और बहुत संवेदनशील व्यक्ति थे। पुस्तक के अन्य दो भाग वर्तमान राजनीतिक, सामाजिक और अन्तरराष्ट्रीय बहस पर आधारित हैं। उनको लेखन के साथ आत्मकथाओं को जानने का भी जुनून था। उनका निष्पक्ष और समाचार का सटीक विवरण उनके चुने इस पेशे को सच्ची श्रद्धांजलि देता है। लोकतन्त्र में उनका विश्वास और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, लोकतन्त्र की रक्षा, संरक्षण व पोषण के लिए एक निष्पक्ष और स्वतन्त्र प्रेस की ज़रूरत उनके लेखन में अक्सर दिखाई देती है।
- भूमिका से
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