कविता संग्रह >> व्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना व्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतनाकुमार विश्वास
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व्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना
भारतीय संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि परिवर्तन के हर युग में अपने मूल स्वरूप को किसी-न-किसी रूप में सुरक्षित रख सकी है, फिर चाहे वह आज भी पूजित उच्चारित वैदिक ऋचाएँ हों या हमारा जीवन दर्शन समाहित किये हुए लोकगीत, लोककथाएँ या कहावतें।
डॉ. कुमार विश्वास हापुड़ में जन्मे और कौरवी भूमि ही उनकी कर्मभूमि रही है। कुमार विश्वास के कवितापाठ में मैंने लोक की छाप देखी है, लोक जैसी सहजता, और हमारे सहेजते हुए बढ़ने वाली चेतना। वे जन-जन के प्रिय कवि कैसे बने, इसकी बुनियाद में उनका अद्भुत लोक अध्ययन झलकता है, लोक के प्रति श्रद्धा और चिन्ता भाव परिलक्षित होता है।
- मालिनी अवस्थी पद्मश्री अलंकृत सुप्रसिद्ध लोक गायिका
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