गजलें और शायरी >> महाकवि खुसरो महाकवि खुसरोसफदर आह
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अमीर खुसरो बहैसियत हिन्दी शायर का अनुवाद
प्रकाशकीय
महाकवि अमीर खुसरो को हिन्दी की खड़ी बोली का प्रथम सशक्त रचनाकार होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने विविध विधाओं में रचनाएँ प्रस्तुत कीं और उनकी ये रचनाएँ शिक्षित और प्रतिष्ठित लोगों में ही नहीं अपितु सर्वसाधारण में भी समान रूप से अत्यधिक लोकप्रिय सिद्ध हुईं। आज सात सौ वर्ष बाद भी अमीर खुसरो की कविताएँ, गजल, पहेलियाँ, लोकगीत आदि पूर्ववत् रसानुभूति का संचार करने में सक्षम हैं। यही कवि की शाश्वत लोकप्रियता और प्रसिद्धि का ज्वलंत प्रमाण है।
सुविख्यात उर्दू लेखक और आलोचक डॉ० सफदर 'आह' ने अमीर खुसरो की हिन्दी रचनाओं का एक विशद विवेचन अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक 'अमीर खुसरो बहैसियत हिन्दी शायर' में प्रस्तुत किया है। यद्यपि पुस्तक देखने में छोटी है तथापि यह 'गागर में सागर' की कहावत को चरितार्थ करती है। क्योंकि इस पुस्तक में अमीर खुसरो की रचनाओं और रचनाकार का समग्र रूपेण मूल्यांकन समाविष्ट करने का स्तुत्य प्रयास किया गया है।
खुसरो सप्तशती समारोह के समापन के उपलक्ष्य में डॉ० सफदर 'आह' की इसी पुस्तक का यह हिन्दी रूपान्तर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। रूपान्तर प्रस्तुत किया है श्री अब्दुल सत्तार ने और पुस्तक के सम्पादन कार्य को हिन्दी समिति के प्रधान सम्पादक श्री रमाकान्त श्रीवास्तव ने सम्पन्न किया है।
आशा है, जिज्ञासु हिन्दी पाठकों को भी इस पुस्तक के माध्यम से महाकवि अमीर खुसरो के जीवन और उनकी हिन्दी रचनाओं का सम्यक् दिग्दर्शन हो सकेगा और यह उनके बीच लोकप्रिय सिद्ध होगी।
-शिव शंकर मिश्र
कार्तिक पूणिमा, १९७६
संयुक्त सचिव हिन्दी समिति, उत्तर प्रदेश शासन
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