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अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

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राजहंस का नवीन उपन्यास

विकास की मुलाकात उससे एक जुए के अड्डे पर हुई थी। पैसे वाली आसामी पाकर जग्गा खुश हो गया था जब से उसकी। जग्गी से दोस्ती चल रही थी। आज विकास को जग्गा, जैसे व्यक्ति। की जरूरत आ पड़ी थी।

तभी उसने उसे फोन किया था। जग्गा के बारे में। सोचते-सोचते ही न जाने विकास को कब निन्द्रा देवी ने आ घेरा था।

मुकेश करीब दो घंटे से पार्क में बैठा था। पर अभी तक लता नहीं आई थी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर आज लता क्यों नहीं आई। आज तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ था कि शाम को लता पार्क में मुकेश से मिलने न आई हो।

मुकेश का दिल रह-रहकर धड़क रहा था। अनेक विचार उसके दिमाग में आ रहे थे।

जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने उठकर टहलना शुरू कर दिया। मुकेश की नजर बार-बार सड़क की ओर उठ रही थी। पर सड़क पर दूर-दूर तक लता का पता नहीं था। अब हल्का-हल्का अंधेरा छाने लगा था। वापिस लौटने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था।

मुकेश पार्क से निकलकर बाहर आ गया। उसका मन बार-बार लता के घर जाने का कर रहा था। पर वह लता की जुबानी उसकी मामी का स्वभाव सुन चुका था। वह सोच रहा था कहीं मेरे लता के घर जाने से उस पर कोई नई मुसीबत में आ जाये।

अचानक मुकेश के दिमाग में एक बात आई। क्यों न मैं। लता की सहेली के भाई के रूप में लता के घर चला जाऊं और फिर उसके कदम तेजी से लता के घर की ओर मुड़ गये।

मुकेश अपने ख्याल में बढ़ा चला जा रहा था। तभी सामने से फुल स्पीड पर आती हुई कार की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी।

मुकेश ने एक किनारे हटकर अपने को बचाने की कोशिश की-लेकिन वह अपने को बचा नहीं पाया। कार मुकेश के पैरों को कुचलती हुई आगे निकल गई।

मुकेश जमीन पर गिरते ही हेहोश हो गया। तभी पीछे से एक और कार आई। वह ठीक मुकेश के पास आकर रुक गई। वह कार विकास की थी।

विकास कार से उतरा और मुकेश के पास गया। तब तक मुकेश के आस-पास कई लोग इकट्टे हो गये थे। सव. आपस में उस कार वाले को गालियां दे रहे थे।

"अरे ये तो मुकेश है।” विकास ने मुकेश को देखते हुये कहा।

"क्यों साहब आप इस आदमी को जानते हैं।" भीड़ में से एक व्यक्ति ने पूछा।

“हाँ...हाँ यह मेरा दोस्त है...प्लीज आप लोग जरा सी मेरी मदद करें...इसे मेरी गाड़ी में चढ़वा दें।” विकास ने रोना चेहरा बनाते हुये कहा।

"हाँ...हाँ साहब।” अनेक स्वर एक साथ उठे।

दो तीन आदमियों ने मुकेश को उठाकर गाड़ी में लिटा दिया।

विकास ने गाड़ी में बैठकर गाड़ी स्टार्ट करे दी। कुछ देर बाद ही गाड़ी हवा से बातें करने लगी।

अस्पताल में पहुंचकर विकास ने मुकेश को अस्पताल में भर्ती करवाया और फिर वह घर की ओर चल दिया।

लता ने घड़ी में समय देखा। चार बजने वाले थे। उसने जल्दी-जल्दी मुंह हाथ धोये। हल्का सा मेकअप किया। साड़ी बदली और जैसे ही अपने कमरे से निकली, सामने मामी को देखकर चौंक उठी।

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