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भाषा एवं साहित्य >> व्याकरण-प्रदीप

व्याकरण-प्रदीप

रामदेव एम.ए.

प्रकाशक : हिन्दी भवन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15330
आईएसबीएन :0

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व्याकरण वह विद्या या शास्त्र है जो किसी भाषा के शब्दों के शुद्ध रूपों और वाक्यों में उनके प्रयोग के नियमों आदि का ज्ञान कराता है

अनुक्रम

पहला खण्ड-वर्ण विचार
• पहला अध्याय : वर्णमाला।
• दूसरा अध्याय : वर्षों का उच्चारण
• तीसरा अध्याय : लिपि
• चौथा अध्याय : सन्धि
• पाँचवाँ अध्याय : अक्षर-विन्यास

दूसरा ख़ण्ड-शब्द-विचार
• पहला अध्याय : शब्दों का वर्गीकरण ।
• दूसरा अध्याय : संज्ञा
• तीसरा अध्याय : संज्ञाओं का रूपान्तर
• चौथा अध्याय : सर्वनाम
• पाँचवाँ अध्याय : विशेषण
• छठा अध्याय : क्रिया।
• सातवाँ अध्याय : क्रियाओं का रूपान्तर
• आठवाँ अध्याय : क्रिया विशेषण
• नवाँ अध्याय : सम्बन्ध-बोधक अव्यय
• दसवाँ अध्याय : योजक (समुच्चयबोधक)
• ग्यारहवाँ अध्याय : द्योतक (विस्मयादिबोधक)
• बारहवाँ अध्याय : एक ही शब्द भिन्न-भिन्न शब्दों के रूप में
• तेरहवाँ अध्याय : शब्दों की व्युत्पत्ति
• चौदहवाँ अध्याय : समास

तीसरा खण्ड-वाक्य-विचार
• पहला अध्याय : खण्ड-वाक्य और वाक्यांश
• दूसरा अध्याय : वाक्य के भेद
• तीसरा अध्याय : वाक्य-रचना
• चौथा अध्याय : वाक्य-संकोचन और वाक्य विस्तार
• पाँचवाँ अध्याय : वाक्य विग्रह
• छठा अध्याय : पद-परिचय
• सातवाँ अध्याय : चिह्न-विचार
• आठवाँ अध्याय : लोकोक्तियाँ और मुहावरे

चौथा खण्ड - हिन्दी भाषा विज्ञान और हिन्दी का विकास
• पहला अध्याय : भाषा-विज्ञान
• दूसरा अध्याय : हिन्दी की उपभाषाएँ और उनका व्याकरण

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