स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आदर्श भोजन आदर्श भोजनआचार्य चतुरसेन
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प्रस्तुत है आदर्श भोजन...
32. उषापान और उषा-भ्रमण
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व बासी पानी जितना सम्भव हो, अधिक से अधिक आधा सेर, नाक के द्वारा पीने का अभ्यास डालिए-नाक से सम्भव न हो तो मुंह से ही पीजिए। इसके बाद भ्रमण कीजिए। भ्रमण ऐसे स्थान में हो, जहां धूल, गर्द तथा मनुष्यों की भीड़-भाड़ न हो। भूमि एक स्तर की हो, उसमें गढ़े न हों। चढ़ाई हो तो हानि नहीं। भ्रमण कम से कम 3-4 मील का होना चाहिए और वह तेज़ चाल से पूरा करना चाहिए। इससे कब्ज़ दूर होने में बहुत सहायता मिल सकती है तथा शारीरिक क्रियाशीलता की वृद्धि के लिए यह सर्वोत्तम उपाय है।
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