आलोचना >> अज्ञेय: एक अध्ययन अज्ञेय: एक अध्ययनभोलाभाई पटेल
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अज्ञेय के कृतित्व पर एक शोध
हिन्दी साहित्य के बीसवीं शताब्दी के इतिहास में ‘अज्ञेय’ सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन (1911-1988) एक अति महत्त्वपूर्ण और अपरिहार्य नाम है। प्रयोगवाद और नयी कविता को हिन्दी साहित्य में उन्होंने प्रतिष्ठित किया है। कविता के अतिरिक्त उपन्यास, कहानी, निबन्ध, समालोचना, पत्राकारिता, यात्रावृत्त आदि साहित्य की सभी विधाओं में उनका प्रदान अनन्य रहा है। अज्ञेय-साहित्य की एक विशेषता है उसमें अनस्यूत आधुनिकता का बोध। इस आधुनिकता बोध में भारत की साहित्यिक-सांस्कृतिक परम्परा के साथ पाश्चातय साहित्य तथा विचारधाराओं का विलक्षण सामंजस्य है। इस पाश्चात्य सम्पर्क ने अज्ञेय को अधिक भारतीय लेखक बनाया है। इस ग्रन्थ में अज्ञेय के सर्जनात्मक साहित्यµकविता, उपन्यास और कहानी का आधुनिकता और पाश्चात्य प्रभावों के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। अज्ञेय-साहित्य में इस प्रकार के नये अभिगम से समीक्षित करने का यह शायद प्रथम प्रयास है।
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