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सदाबहार >> गोदान

गोदान

प्रेमचंद

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :327
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1442
आईएसबीएन :9788170284321

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गोदान भारत के ग्रामीण समाज तथा उसकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है...


राय साहब ने व्यंग करके कहा–आप यह भूल जाते हैं। मिस्टर खन्ना कि मैं बैंकर नहीं, ताल्लुकेदार हूँ। कुँवर साहब दहेज नहीं माँगते, उन्हें ईश्वर ने सब कुछ दिया है, लेकिन आप जानते हैं, यह मेरी अकेली लड़की है और उसकी माँ मर चुकी है। वह आज जिन्दा होती तो शायद सारा घर लुटाकर भी उसे सन्तोष न होता। तब शायद मैं उसे हाथ रोककर खर्च करने का आदेश देता; लेकिन अब तो मैं उसकी माँ भी हूँ, बाप भी हूँ। अगर मुझे अपने हृदय का रक्त निकालकर भी देना पड़े, तो मैं खुशी से दे दूँगा। इस विधुर-जीवन में मैंने सन्तान-प्रेम में ही अपनी आत्मा की प्यास बुझाई है। दोनों बच्चों के प्यार में ही अपने पत्नी-व्रत का पालन किया है। मेरे लिए यह असम्भव है कि इस शुभ अवसर पर अपने दिल के अरमान न निकालूँ। मैं अपने मन को तो समझा सकता हूँ पर जिसे मैं पत्नी का आदेश समझता हूँ, उसे नहीं समझाया जा सकता। और एलेक्शन के मैदान से भागना भी मेरे लिए सम्भव नहीं है। मैं जानता हूँ, मैं हारूँगा। राजा साहब से मेरा कोई मुकाबला नहीं; लेकिन राजा साहब को इतना जरूर दिखा देना चाहता हूँ कि अमरपालसिंह नर्म चारा नहीं है।

‘और मुकदमा दायर करना तो आवश्यक ही है?’

‘उसी पर तो सारा दारोमदार है। अब आप बतलाइए, आप मेरी क्या मदद कर सकते हैं

‘मेरे डाइरेक्टरों का इस विषय में जो हुक्म है, वह आप जानते हैं। और राजा साहब भी हमारे डाइरेक्टर हैं, यह भी आपको मालूम है। पिछला वसूल करने के लिए बार-बार ताकीद हो रही है। कोई नया मुआमला तो शायद ही हो सके।’

राय साहब ने मुँह लटकाकर कहा–आप तो मेरा डोंगा ही डुबाये देते हैं मिस्टर खन्ना!

‘मेरे पास जो कुछ निज का है, वह आपका है; लेकिन बैंक के मुआमले में तो मुझे अपने स्वामियों के आदेशों को मानना ही पड़ेगा।’

‘अगर यह जायदाद हाथ आ गयी, और मुझे इसकी पूरी आशा है, तो पाई-पाई अदा कर दूँगा।’

‘आप बतला सकते हैं, इस वक्त आप कितने पानी में हैं?’

राय साहब ने हिचकते हुए कहा–पाँच-छः लाख समझिए। कुछ कम ही होंगे। खन्ना ने अविश्वास के भाव से कहा–या तो आपको याद नहीं है, या आप छिपा रहे हैं।

राय साहब ने जोर देकर कहा–जी नहीं, मैं न भूला हूँ, और न छिपा रहा हूँ। मेरी जायदाद इस वक्त कम से कम पचास लाख की है और ससुराल की जायदाद भी इससे कम नहीं है। इतनी जायदाद पर दस-पाँच लाख का बोझ कुछ नहीं के बराबर है।

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