पर्यावरण एवं विज्ञान >> सूर्य सूर्यगुणाकर मुले
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यदि यह कहा जाए कि सूर्य के बारे में जानना विश्व-जीवन को जानना है, तो गलत न होगा।
धरती का समूचा जीवन सूर्य पर निर्भर है। इसलिए यदि यह कहा जाए कि सूर्य के बारे में जानना विश्व-जीवन को जानना है, तो गलत न होगा। इस नाते खगोल विज्ञान विषयक हिंदी लेखकों में अग्रगण्य गुणाकर मुले की यह पुस्तक न सिर्फ अद्यतन जानकारियों, बल्कि अपने सरल और रोचक भाषा- शिल्प की दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। विद्वान लेखक ने इस कृति को सूर्य और हम, सूर्य देवता, सूर्य. एक सामान्य तारा, सूर्य का परिवार, किरणों की भाषा, सूर्य की भट्ठी, सूर्य की सतह और इसका बाहय वातावरण, पृथ्वी पर सूर्य का प्रभाव, सूर्य का जन्म और अंत नामक नौ अध्यायों में बाँटा है। साथ ही परिशिष्ट में सूर्य संबंधी विशिष्ट कड़े और तत्संबंधी हिंदी-अंग्रेजी पारिभाषिक शब्दावली इस पुस्तक को और अधिक उपयोगी बनाते हैं। लेखक के .शब्दों को उद्धृत करें तो ''हिंदी में सूर्य पर यह अपनी तरह की पहली पुस्तक है।'' दरअसल पृथ्वी से सूर्य की दूरी, सूर्य के व्यास, सूर्य-सतह के क्षेत्रफल, उसके आयतन, द्रव्यमान, औसत घनत्व, घूर्णन-काल, उसकी सतह और केंद्र के तापमान आदि खगोल भौतिकी के जटिल आंकडे कहानी की तरह रोचक होकर हमारे सामने आते हैं, फलस्वरूप ज्ञान का एक विराट कोश सहज ही हमारे भीतर समा जाता है।
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