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प्रेमचंद और उनका युग

रामविलास शर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :284
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14212
आईएसबीएन :9788126705047

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इस पुस्तक में विद्वान लेखक ने प्रेमचंद की कृतियों का मूल्यांकन ऐतिहासिक सन्दर्भ और सामाजिक परिवेश की पृष्ठभूमि में किया है।

प्रख्यात प्रगतिशील समालोचक डॉ. रामविलास शर्मा की पुस्तक प्रेमचंद और उनका युग का यह नवीन परिवर्धित संस्करण है। इसमें 'प्रेमाश्रम और गोदान : कुछ अन्य समस्याएँ' शीर्षक से लगभग सौ पृष्ठों की नई सामग्री जोड़ी गई है, और इस प्रकार यह पुस्तक अब प्रेमचंद पर डॉ. शर्मा के अद्यावधि चिन्तन को प्रस्तुत करती है। प्रेमचंद भारत की नई राष्ट्रीय और जनवादी चेतना के प्रतिनिधि साहित्यकार थे। अपने युग और समाज का जो यथार्थ चित्रण उन्होंने किया, वह अद्दितीय है। इस पुस्तक में विद्वान लेखक ने प्रेमचंद की कृतियों का मूल्यांकन ऐतिहासिक सन्दर्भ और सामाजिक परिवेश की पृष्ठभूमि में किया है। प्रथम अध्याय में उनके जीवन पर तथा अगले अध्यायों में क्रमशः उनके उपन्यासों और कहानियों पर प्रकाश डालते हुए संपादक, विचारक और आलोचक के रूप में प्रेमचंद के कृतित्व का विश्लेषण किया गया है। तदुपरांत 'प्रगतिशील साहित्य और भाषा की समस्या', 'युग निर्माता प्रेमचंद' एवं 'समस्याएँ' शीर्षकों के अंतर्गत प्रेमचंद के कृतित्व-सम्बन्धी समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं। श्री अमृतराय द्वारा लिखित 'प्रेमचंद : कलम का सिपाही' तथा श्री मदन गोपाल लिखित 'कलम का मजदूर : प्रेमचंद' पुस्तकों की तर्कपूर्ण शैली में समीक्षा की गई है। यह प्रेमचंद पर एक तथ्यपूर्ण और सम्पूर्ण पुस्तक है।

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