कविता संग्रह >> प्रतिनिधि कविताएं: इब्ने इंशा प्रतिनिधि कविताएं: इब्ने इंशाइब्ने इंशा
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उर्दू के सुविख्यात शायर इब्ने इंशा की प्रतिनिधि गज़लों और नज़्मों की यह पुस्तक हिन्दी पाठकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के समान है।
उर्दू के सुविख्यात शायर इब्ने इंशा की प्रतिनिधि गज़लों और नज़्मों की यह पुस्तक हिन्दी पाठकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के समान है। हिंदी में वे कबीर और निराला तथा उर्दू में मीर और नज़ीर की परंपरा को विकसित करनेवाले शायर हैं। जीवन का दर्शन और जीवन का राग उनकी रचनाओं को बिलकुल नया सौंदर्य प्रदान करता है। उर्दू शायरी के प्रचलित विन्यास को उनकी शायरी ने बड़ी हद तक हाशिए में डाल दिया है। अब्दुल बिस्मिल्लाह के शब्दों में कहें तो इंशा जी उर्दू कविता के पूरे जोगी हैं। हालाँकि रूप-सरूप, जोग-बिजोग, बिरहन, परदेशी और माया आदि का काव्य-बोध इंशा को कैसे प्राप्त हुआ, यह कहना कठिन है, फिर भी यह असंदिग्ध है कि उर्दू शायरी की केन्द्रीय अभिरुचि से यह अलग है या कहें कि यह उनका निजी तख़्य्युल है। दरअस्ल भाषा की सांस्कृतिक और रूपगत संकीर्णता से ऊपर उठकर शायरी करनेवालों की जो नई पीढ़ी पाकिस्तानी उर्दू शायरी में तेजी से उभरी है, उसकी बुनियाद में इंशा सरीखे शायर की खास भूमिका रही है।
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