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प्रतिनिधि कहानियाँ: रांगेय राघव

रांगेय राघव

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :154
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14184
आईएसबीएन :8171785778

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रांगेय राघव की कहानियों की विशेषता यह है कि उस पूरे समय की शायद ही कोई घटना हो जिसकी गूँजे-अनुगूंजें उनमें न सुनी जा सकें।

रांगेय राघव के कहानी-लेखन का मुख्य दौर भारतीय इतिहास की दृष्टि से हलचल-भरा विरल कालखंड है, कम मौकों पर भारतीय जनता ने इतने स्वप्न और दुःस्वप्न एक साथ देखे थे-आशा और हताशा ऐसे अड़ोस-पड़ोस में खड़ी देखी थी। और रांगेय राघव की कहानियों की विशेषता यह है कि उस पूरे समय की शायद ही कोई घटना हो जिसकी गूँजे-अनुगूंजें उनमें न सुनी जा सकें। सच तो यह है कि रांगेय राघव ने हिन्दी कहानी को भारतीय समाज के उन धूल-काँटों भरे रास्तों, आवारे-खफंडरों-चरजीवियों की फक्कड़ जिन्दगी, भारतीय गाँवों की कच्ची और कीचड़-भरी पगडंडियों की गश्त करवाई, जिनसे वह भले ही अब तक पूर्णत: अपरिचित न रही हो पर इस तरह हिली-मिली भी नहीं थी; और इन 'दुनियाओं' में से जीवन से लबलबाते ऐसे-ऐसे कद्‌दावर चरित्र प्रकट किए जिन्हें हम विस्मृत नहीं कर सकेंगे। 'गदल' को क्या कोई भूल सकता है!

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