कहानी संग्रह >> प्रतिनिधि कहानियाँ : फणीश्वरनाथ रेणु प्रतिनिधि कहानियाँ : फणीश्वरनाथ रेणुफणीश्वरनाथ रेणु
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प्रेमचंद के बाद हिंदी कथा-साहित्य में रेणु उन थोड़े-से कथाकारों में अग्रगण्य हैं जिन्होंने भारतीय ग्रामीण जीवन का उसके सम्पूर्ण आंतरिक यथार्थ के साथ चित्रण किया है।
प्रेमचंद के बाद हिंदी कथा-साहित्य में रेणु उन थोड़े-से कथाकारों में अग्रगण्य हैं जिन्होंने भारतीय ग्रामीण जीवन का उसके सम्पूर्ण आंतरिक यथार्थ के साथ चित्रण किया है। स्वाधीनता के बाद भारतीय गाँव ने जिस शहरी रिश्ते को बनाया और निभाना चाहा है, रेणु की नजर उससे होनेवाले सांस्कृतिक विघटन पर भी है जिसे उन्होंने गहरी तकलीफ के साथ उकेरा है। मूल्य-स्तर पर उससे उनकी आंचलिकता अतिक्रमित हुई है और उसका एक जातीय स्वरुप उभरा है। वस्तुतः ग्रामीण जन-जीवन के सन्दर्भ में रेणु की कहानियां अकुंठ मानवीयता, गहन रागात्मकता और अनोखी रसमयता से परिपूर्ण हैं।
यही करण है कि उनमे एक सहज सम्मोहन और पाठकीय संवेदना को परितृप्त करने की अपूर्व क्षमता है। मानव-जीवन की पीड़ा अरु अवसाद, आनंद और उल्लास को एक कलात्मक लय-ताल सौंपना किसी रचनाकार के लिए अपने प्राणों का रस उंडेलकर ही संभव है और रेणु ऐसे ही रचनाकार हैं। इस संग्रह में उनकी प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण कहानियाँ संकलित हैं।
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