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प्रतिनिधि कहानियाँ: खुशवंत सिंह

खुशवंत सिंह

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1998
पृष्ठ :186
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14171
आईएसबीएन :8171782752

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खुशवंत सिंह की कहानियों का संसार न तो सीमित है और न एकायामी, इसलिए ये कहानियां अपनी विषय-विविधता के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

पत्रकारिता से जुड़े रहकर भी खुशवंत सिंह ने अंग्रेजी में लिखनेवाले एक भारतीय कथाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखी है। इस संग्रह में उनकी कुछ प्रतिनिधि कहानियां शामिल हैं, जिन्हें उनके तीन कहानी-संग्रहों से चुना गया है। खुशवंत सिंह की कहानियों का संसार न तो सीमित है और न एकायामी, इसलिए ये कहानियां अपनी विषय-विविधता के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ध्यान से पढ़ने पर इनकी दुनिया जहाँ हमारी सामाजिक दुनिया की अनेक खासियतें उजागर करती हैं, वहीँ इनमें लेखक का अपना व्यक्तित्व भी प्रतिध्वनित होता है- विचारोत्तेजक और अनुभूतिप्रवण। शैली सहज, सरल और भाषा प्रवाहमयी है। जीवन के विस्तृत अनुभवों में पगी हुई इन कहानियों में अपने देश की मिटटी की सोंधी गन्ध हैं। मानव-जीवन में गहरे जड़ जमाए खोखले आदर्शो और दकियानूसी परम्पराओं पर कुठाराघात करती हुई ये चुटीली कहानियां अपने समय की जीवंत प्रतिध्वनियाँ हैं, जो यदि हमें गुदगुदाती हैं तो सोचने-समझने के लिए प्रेरित भी करती हैं। लेकिन साथ ही ये एक ऐसे भारतीय लेखक की कहानियां भी हैं, जो अपने मुंहफट स्वाभाव और स्वतंत्र विचारों के लिए बहुत बार विवादों के घेरे में रहा है।

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